इस सजा के नाम से कैदियों के छूटते थे पसीने, जेल छोडकर भाग नहीं सकता था कैदी
दुनिया में हर देश में कई सारी जेले है जो अपराध करने वाले कैदियों को सजा देने के लिए बनाई गई है। उन्हीं में से कई ऐसी जेल है जिनके नाम से ही कैदियों के पसीने छुट जाते है। उन्हीं में से एक काला पानी की सजा। लेकिन क्या आप जानते है कि आखिर ये काला पानी की सजा क्या होती है।
अगर आप नहीं जानते है तो हम बताते है। दरअसल, काले पानी की सजा को सेल्युलर जेल भी कहते है। इस जेल का निर्माण पोर्ट ब्लेयर में जो की अंडमान निकोबार दीपसमूह की राजधानी पर बनाई गई है। जेल का निर्माण अंग्रेंजो ने किया था।
साल 1857 की पहली क्रांति के दौरान अंग्रेजो के दिमाग में सेल्युलर जेल बनाने की योजना आई थी। दरअसल इस जेल का बनाने का मकसद स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद करना था। जेल को बनाने में लगभग 10 साल का समय लगा। इस 3 मंजिल और 7 शाखाएं वाली जेल में 696 सेल मौजूद थे। इस जेल के हर सेल का आकार 4.5 मीटर म 2.7 मीटर था।
अगर किसी को काला पानी की सजा सुनाई जाती थी तो उसको भारत की भूमि से हजारों किलोमीटर की दूरी पर रखा जाता था। अगर कोई जेल से भागना भी चाहता था तो वो भाग नहीं सकता था क्योकि जेल के चारों तरफ पानी ही पानी था।
इस जेल में हर कैदी के लिए एक शैल था। एक शैल इसलिए बनाया था की कोई कैदी एक दूसरे से बात नहीं कर सके। साथ इस जेल में कैदियों को बेडिय़ों से बांध कर रखा जाता था। साथ ही कैदियों से कोलुओ द्वारा तेल भी निकलवाया जाता था।