इंदौर पहुंचा मेधा पाटकर का आंदोलन, कमलनाथ सरकार ने NCA से की इमरजेंसी मीटिंग बुलाने की मांग

इंदौर
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और गुजरात (Gujarat) की सीमा पर बने सरदार सरोवर डैम (Sardar Sarovar Dam) का जल स्तर जैसे-जैसे बढ़ रहा है वैसे-वैसे डूब प्रभावितों का आंदोलन भी तेज होता जा रहा है. हालांकि नर्मदा बचाओ आंदोलन (Narmada Bachao Andolan) की नेता मेधा पाटकर (Medha Patkar) ने भले ही बड़वानी का सत्याग्रह समाप्त कर दिया हो, लेकिन उनके समर्थकों ने आज इंदौर के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के ऑफिस के बाहर जमकर हंगामा किया. वे (मेधा पाटकर) यहां नर्मदा घाटी विकास मंत्री सुरेन्द्र सिंह बघेल  (Narmada Valley Development Minister Surendra Singh Baghel) के साथ मीटिंग करने पहुंची थीं. वह आज कमलनाथ सरकार के मंत्री बघेल से डूब प्रभावितों की समस्याओं पर चर्चा करने के लिए इंदौर के एनवीडीए के ऑफिस पहुंची थीं और इस दौरान उनके साथ सैकड़ों की संख्या में पहुंचे धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगोन, बड़वानी समेत डूब प्रभावित जिलों के ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया और घंटों नारेबाजी की. इस दौरान पाटकर के समर्थक मंत्री की गाड़ी को घेरकर खड़े हो गए. जबकि भारी पुलिस बल पहुंचने के बाद स्थिति नियंत्रण में आई.

मेधा पाटकर का कहना है कि सरदार सरोवर डैम 136 मीटर तक भर चुका है,जिससे मध्य प्रदेश के 178 गांव डूबने की कगार पर पहुंच गए है. इनमें रह रहे 25 से 30 हजार लोगों के बेघर होने का खतरा बढ़ गया है. ये अन्याय पूर्ण और अमानवीय है. बावजूद इसके मध्य प्रदेश सरकार इनकी लड़ाई ठीक से नहीं लड़ रही है. जबकि पुनर्वास का पूरा खर्च गुजरात सरकार को देना है. वहीं 1857 करोड़ रुपए के मुआवजे में से सिर्फ 69 करोड़ रुपए ही गुजरात सरकार ने दिए हैं और ऐसे में एमपी सरकार को पूरे मुआवजे की लड़ाई लडनी होगी. 178 गांव डूबने के हालात तो तब बने हैं जब डैम 136 मीटर तक ही भरा है और यदि इसे 139 मीटर तक भरा जाता है तो और ज्यादा गांवों के डूबने का खतरा बढ़ जाएगा.

मेधा पाटकर की बात पर मध्य प्रदेश सरकार के नर्मदा घाटी विकास मंत्री सुरेन्द्र सिंह बघेल का कहना है कि महीनों से हमारी सरकार केन्द्र और गुजरात सरकार से पत्र व्यवहार कर रही है, लेकिन इस मुद्दे को गुजरात सरकार मानवीय आधार पर नहीं देख रही है. बार बार आग्रह के बावजूद गुजरात सरकार सरदार सरोवर डैम से पानी नहीं छोड़ रही है. मध्य प्रदेश के हिस्से 57 फीसदी बिजली भी दो साल से एमपी को नहीं दी जा रही है. पिछली सरकार ने अपनी बात एनसीए में नहीं रखी और गुजरात को एग्रीमेंट से ज्यादा पानी देती रही. एनसीए यानी नर्मदा कंट्रोल अथोरिटी (Narmada Control Authority) मध्य प्रदेश की समस्या पर ध्यान नहीं दे रही है यहां की जनता परेशान हो रही है. ऐसे में केन्द्र और गुजरात सरकार को मानवीय पहलू पर विचार करना चाहिए.

बहरहाल, बांध प्रभावित लोगों के पुनर्वास को लेकर मध्य प्रदेश की कांग्रेस और गुजरात की बीजेपी सरकार के बीच टकराव जारी है. गुजरात सरकार ने नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी यानी एनसीए के शेड्यूल को दरकिनार कर 21 दिन पहले ही सरदार सरोवर डैम को 136 मीटर की ऊंचाई तक भर दिया है. इस जल्दबाजी में मध्य प्रदेश के 178 गांव डूबने की कगार पर पहुंच गए हैं. इन गांवों में करीब 25 से 30 हजार लोग रहते हैं, जिनका तय शेड्यूल से पहले पुनर्वास संभव नहीं. इसलिए एमपी सरकार के सामने इन हजारों लोगों के डूबने का संकट है. ऐसे में एमपी सरकार ने नर्मदा कंट्रोल अथोरिटी से तत्काल इमरजेंसी बैठक बुलाने की मांग की है.

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