आर्थिक स्थिति बिगड़ने पर विवि अपने प्रोफेसरों को नहीं दे पाएंगे सातवां वेतनमान
भोपाल
उच्च शिक्षा विभाग ने सातवें वेतनमान को लेकर आदेश जारी कर दो घंटे बाद वेबसाइट से हटा दिया गया है। दो घंटे में प्रोफेसरों ने आदेश को डाउनलोड कर लिया है। इसमें काफी अनिमितताएं सामने आई हैं। इसे लेकर विभाग का विरोध करने की तैयारी में प्रोफेसर जुट गए हैं। विवि प्रोफेसरों को वेतनमान अपनी अर्थिक स्थिति ठीक होने पर ही दे पाएंगे।
सातवें वेतनमान को लेकर विवि प्रोफेसर के संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। जबकि कालेज प्रोफेसर के साथ विवि प्रोफेसर के आदेश साथ में जारी करने की परंपरा बनी हुई है। इसके बाद भी विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि विवि अपनी आर्थिक स्थिति के हिसाब से प्रोफेसरों का सातवां वेतनमान दें। इसकी सिर्फ एक ही वजह विवि अपने फंड से वेतन आवंटित करें। जबकि शासन से मिलने वाली ग्रांट बहुत कम है। इससे प्रोफेसरों के सातवें वेतनमान का आवंटन नहीं किया जा सकता है।
भविष्य में ये ग्रांट बढ़ेगी भी नहीं। इसलिए विवि अपने स्तर से वेतनमान निर्धारित करें। वहीं छह, सात, आठ और नौ हजार एजीपी में 2.67 का गुणा करने पर कालेज प्रोफेसरों का वेतन निर्धारित करने आदेश विभाग द्वारा दिए गए हैं, जो अनुचित है। जबकि छह, सात और आठ हजार एजीपी का गुणा 2.57 के हिसाब से होकर वेतन निर्धारित होना है। नौ और दस हजार एजीपी के संबंध में विवादस्पद स्थिति होने के कारण हाईकोर्ट के अधीन बना हुआ है। गौरतलब है कि छठवें वेतनमान में कालेज प्रोफेसर जो वास्तव में रीडर के समकक्ष थे। उन्हें एजीपी दस हजार दे दिया गया। इसके कारण काफी कोर्ट केस लंबित हैं। उनका दस साल में निराकरण नहीं हो सका है।
मिलेगा एक मुश्ति एरियर
एक जनवरी 2005 और उसके बाद नियुक्त शिक्षकों को एरियर की राशि के एक मुश्त भुगतान के निर्देश हैं। जबकि इसके पूर्व शिक्षकोंं को एक जनवरी 16 से 31 दिसंबर 2018 तक एरियर राशि जीपीएफ में जमा कराने के आदेश हैं। मप्र सरकार के खजाना खाली है। शासन को गत वर्ष अगस्त में पेंशनर्स को सातवें वेतनमान के हिसाब से बढ़ी हुई पेंशन के भुगतान के लिए 500 करोड़ का ऋण लेना पड़ा हैं। यह भी आदेश इस प्रकार विसंगति पूर्ण होने के कारण वेबसाइट से हटाया गया है।
उच्च शिक्षा विभाग ने कालेज और विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, ग्रंथपाल और खेली अधिकारी व रजिस्ट्रार को सातवें वेतनमान देने के लिए आदेश कल जारी कर दिया गया। ये आदेश सिर्फ दो घंटे ही विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। दो घंटे बाद उसे हटा दिया गया। प्रोफेसर सातवें वेतनमान की दो घंटे में बधाई दे ही पाए थे कि अवर सचिव जयश्री मिश्रा ने आदेश को वेबसाइट से हटाने के निर्देश जारी कर दिए। इससे प्रोफेसरों में खलबली मच गई। उन्होंने यहां-वहां आदेश हटने के कारण पूछना शुरू कर दिया, लेकिन विभाग में पदस्थ अधिकारी उन्हें आदेश को हटाने का करण नहीं बता सके।
प्रोफेसर आज सुबह से ही वेतनमान को लेकर काफी गंभीर बने हुए हैं। क्योंकि वेतनामन लेने के लिए प्रोफेसर संगठनों ने काफी जद्दोजहद की थी। उन्हें ये वेतनमान 1 जनवरी 2016 से स्वीकृत कर दिया गया है। आदेश में असिस्टेंट प्रोफेसर से लेकर खेल अधिकारियों तक के स्कैल दिए गए हैं।