आरटीई में नहीं मिल रहा प्रवेश- जवाब के लिए केंद्र व राज्य शासन ने मांगी मोहलत

बिलासपुर
निजी स्कूल में केंद्र सरकार के कानून का हो रहे उल्लंघन को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य व केंद्र सरकार के वकीलों ने जवाब के लिए डिवीजन बेंच के समक्ष मोहलत मांगी। डिवीजन बेंच ने अनुरोध को स्वीकार करते हुए जवाब के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। चार सप्ताह बाद मामले की सुनवाई होगी। सी भगवंत राव ने वकील देवर्षि ठाकुर के जरिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर शिकायत की है कि केंद्र सरकार ने निजी स्कूलों में गरीब बच्चों की अच्छी शिक्षा दीक्षा के लिए (आरटीई) शिक्षा के अधिकार कानून बनाया है। कानून के अंतर्गत निजी स्कूल संचालकों को कुल दर्ज संख्या में से 15 फीसदी सीट गरीब बच्चों के लिए रिक्त रखना है और इन बच्चों को प्रवेश देकर सामान्य बच्चों के साथ अध्ययन अध्यापन की व्यवस्था करानी है।

बीते सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने निजी स्कूल प्रबंधन को केंद्र शासन के कानून के परिपालन के संबंध में निर्देश जारी किए थे। याचिकाकर्ता ने कहा है कि कोर्ट के निर्देश के बाद भी स्कूल प्रबंधन द्वारा गरीब बच्चों को प्रवेश देने में आनाकानी की जा रही है। शिक्षा को निजी स्कूल प्रबंधन ने व्यवसाय बना लिया है। यही कारण है कि आरटीई के तहत बीपीएल परिवार के बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। मंगलवार को चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच में जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान केंद्र व राज्य शासन के वकीलों ने जवाब पेश करने के लिए समय देने की गुहार लगाई। वकीलों के अनुरोध को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने चार सप्ताह की मोहलत दी है। चार सप्ताह बाद मामले की सुनवाई करने की व्यवस्था दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *