आयुक्त के आदेश के बाद भी आबकारी में विभागीय जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं 

ग्वालियर
आबकारी महकमे में जिन अफसरों व कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गर्इं हैं,उन्हें बचाने के लिए तारीख पर तारीख का खेल चल रहा है। आलम यह है कि आरोपियों से सांठगांठ कर जांच अधिकारी जानबूझकर रिपोर्ट तैयार नहीं कर रहे। मामलों को टालने के लिए किसी न किसी बहाने से जांच की सुनवाई आगे बढ़ा दी जाती है। 

विभागीय जांचों के एक सैकड़ा से अधिक ऐसे प्रकरण हैं,जिनकी तीन से लेकर आठ साल के भीतर जांच पूरी नहीं हो पाई है। इनमें कुछ आबकारी अधिकारी ऐसे हैं, जिनके ऊपर शासकीय धन का गबन करने, राजस्व की हानि पहुंचाने,अवैध शराब की फैक्टरी चलवाने सहित अन्य गंभीर आरोप हैं। 

इंदौर आबकारी विभाग में हुए 41 करोड़ के गबन के 25 से अधिक अधिकारी व कर्मचारियों की जांच भी लंबी खींची जा रही। वहीं भिंड के मालनपुर में बंद डिस्टलरी में अवैध रूप से शराब बनवा रहे आबकारी उप निरीक्षक व आरक्षकों की जांच में भी ढिलाई बरती जा रही। 

गंभाीर आरोपों से घिरे संबंधित अधिकारी सस्पेंड भी हुए। जिन्हें सेटिंग से बहाल करके फील्ड में पोस्टिंग भी कर दी,लेकिन जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जा रही। मलाईदार पदों पर वे मजे से नौकरी कर रहे। विभाग जांचों को टालने वाले जांच अधिकारियों को मौजूदा आबकारी आयुक्त रजनीश श्रीवास्तव द्वारा निर्देश भेजे जा चुके हैं कि शीघ्र रिपोर्ट प्रस्तुत करें। बावजूद इसके रिपोर्ट तैयार नहीं की जा रहीं। 

तीन आबकारी अधिकारी ऐसे हैं,जिनके घर लोकायुक्त की रेड हुई थी। अकूत सम्पत्ति मिलने पर इनके खिलाफ लोकायुक्त की जांचें चल रही हैं। मजे की बात यह है सांठगांठ से लोकायुक्त की जांचें भी ठंडे बस्तें में हैं। कई वर्ष हो गए,इनकी रिपोर्ट भी तैयार नहीं की जा रही। 

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