आमदनी छिपाने पर ओयो होटल्स को टैक्स नोटिस

 
नई दिल्ली

सॉफ्टबैंक के सपोर्ट वाली ओयो होटल्स एंड होम्स को डिपार्टमेंट की तरफ से इनकम टैक्स नोटिस भेजे गए हैं। जानकार सूत्रों ने बताया कि नोटिस कंपनी की तरफ से इनकम के बारे में गलत सूचना देने के चलते भेजे गए हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ओयो की पेरेंट कंपनी ओरैवल स्टेस को असेसमेंट ईयर 2016-17 के लिए नवंबर और दिसंबर में नोटिस भेजा था। सूत्रों ने बताया कि मामला संबंधित असेसमेंट ईयर में कंपनी की तरफ से अदा की गई रकम पर टीडीएस नहीं काटे जाने से जुड़ा है।

ओयो ने असेसमेंट ईयर 2016-17 के रिटर्न में 400 करोड़ रुपए का लॉस दिखाया था। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कंपनी के खिलाफ पिछले साल दिसंबर में ऑर्डर जारी किया था। सूत्र ने बताया कि ओयो ने इस ऑर्डर के खिलाफ इसी हफ्ते अपील की थी। इस मामले में डिटेल जानकारी के लिए भेजी गई ईमेल का जवाब खबर लिखे जाने तक नहीं मिल पाया था। पिछले साल सितंबर में सॉफ्टबैंक विजन फंड की अगुवाई में ओयो में 80 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ था। इससे कंपनी का 5 अरब डॉलर से अधिक का वैल्यूएशन निकला था।

ओयो के मुताबिक उसके पोर्टफोलियो में भारत के अलावा चीन, मलेशिया, नेपाल, ब्रिटेन, यूएई और इंडोनेशिया के 500 से ज्यादा शहरों में 13000 से ज्यादा होटल और 3000 ओयो होम्स हैं। कंपनी ने इसी महीने दुबई में ओयो होम्स लॉन्च करने का ऐलान किया है। कंपनी ने कहा है कि वह दुबई में 40 ओयो होम्स के साथ कारोबार की शुरुआत करेगी और अगले छह महीने में उनकी संख्या बढ़ाकर 200 तक ले आएगी।

होटल कॉन्ट्रैक्ट्स के मिसमैनेजमेंट, कॉन्ट्रैट में एकतरफा बदलाव और डीप डिस्काउंटिंग जैसे मुद्दों पर पिछले कई महीनों से कंपनी की फेडरेशन ऑफ होटल्स एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FHRAI) जैसी इंडस्ट्री एसोसिएशंस और दूसरे बजट एसोसिएशंस के साथ रस्साकशी चल रही है। दिसंबर में FHRAI ने ईटी से बातचीत में कहा था कि वह इस मामले को कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया और टूरिज्म मिनिस्ट्री के पास ले जाने का प्लान बना रही है। उसने यह भी कहा था कि मांगें नहीं माने जाने पर देशभर में विरोध प्रदर्शन करने के FHRAI के प्रस्ताव को रीजनल एसोसिएशंस (नॉर्थ, साउथ, ईस्ट और वेस्ट) सपोर्ट कर रहे हैं। कॉन्ट्रैक्ट तोड़े जाने और उसके मिसमैनेजमेंट को लेकर इंडस्ट्री बॉडीज की तरफ से जताई जा रही चिंता के बाबत ओयो ने कहा कि होटल बॉडीज जो चिंताएं जता रही हैं और मांग कर रही हैं वह सही नहीं हैं। इसकी वजह निहित स्वार्थ वाले छोटे समूहों के गलत आरोप हैं।
 

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