आठ किमी में 40 दिन के भीतर 3 बार पटरी टूटी, रोज इसी लाइन से गुजर रहीं 50 ट्रेनें

 बिलासपुर.
 खोडरी-सारबहरा-पेंड्रारोड रेलवे लाइन। 40 दिन में तीन बार यहां पटरी टूटी है। एक बार यात्री गाड़ी गुजरते समय भी। ये तो यात्रियों की किस्मत ही थी कि बड़ा हादसा नहीं हुआ। टूटी हुई पटरी जांच के लिए लैब भेजी गई है। रेलवे के अफसर जानते हैं कि इसके दो ही मायने हैं। रेलवे में घटिया पटरी का देश का पहला घोटाला सामने आने वाला है। या रेल लाइन बिछाने में कोई इतनी बड़ी गड़बड़ी है कि हजारों जानें खतरे में है। अफसर फिलहाल सिर्फ रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहे हैं।
क्यों टूटी पटरी? जांच के लिए आरडीएसओ लखनऊ भेजे गए हैं सैंपल

    चार महीने पहले बनकर तैयार हुई खोडरी-सारबहरा-पेंड्रारोड नई रेलवे लाइन के निर्माण में घटिया मटेरियल का इस्तेमाल किया गया है। नतीजतन चार महीने में चार बार और सवा महीने में तीन बार पटरियां टूटकर बिखर गईं। घटनाओं से साफ जाहिर है कि यहां ट्रेनों में सफर कर रहे यात्रियों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। पटरियों के लगातार टूटने के बाद भी रेलवे अफसर इन घटिया पटरियों पर बेधड़क यात्री ट्रेनें चलाने का दुस्साहस कर रहे हैं। सारबहरा और पेंड्रारोड के बीच नवनिर्मित अप रेलवे लाइन यात्रियों के लिए खतरा बन गई है।

    इस लाइन की पटरियां इतनी कमजोर और घटिया हैं कि आए दिन टूट रही हैं। ऐसे में किसी भी दिन तेज रफ्तार यात्री ट्रेन के बुरी तरह दुर्घटनाग्रस्त होने, उलटने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। यदि ऐसा हुआ तो यह यात्रियों की जानें जाने का खतरा खड़ा है। इस नई रेलवे लाइन का निर्माण रेल विकास निगम लिमिटेड आरवीएनएल ने कराया है। पटरियों का इस तरह से टूटना ट्रेनों के संचालन के लिए गंभीर संकेत है। रेलवे के अफसर यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर पटरियां क्यों टूट रहीं हैं?

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