आज से नेत्रदान पखवाड़ा नेत्रदान

रायपुर
स्वास्थ्य विभाग द्वारा 25 अगस्त से राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाएगा,जो 8 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान लोगों को जागरुक करते हुए उन्हें नेत्रदान के लिए प्रेरित किया जाएगा। स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि एक व्यक्ति के नेत्रदान से दो की जिंदगी रोशन हो सकती है। ऐसे में हर वर्ग के लोगों को नेत्रदान के लिए आगे आएं और अपने साथ दूसरों को भी नेत्रदान के लिए प्रेरित करें।

प्रदेश में हर साल राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है और साथ ही अभियान चलाकर लोगों को जागरुक किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे कार्यक्रम की तैयारी लगभग पूरी कर ली है। नेत्रदान पखवाड़े का मूल उद्देश्य दृष्टिहीनता को घटाकर उसे 2020 तक 0.3 प्रतिशत पर लाना है। प्रदेश में वर्ष 2017-18 में 378 नेत्रदान किए गए थे। अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक दान में 362 नेत्र मिले, जिसे 165 लोगों में ट्रांसप्लांट किया गया। प्रदेश में अप्रैल 2019 से जुलाई 2019 तक 67 नेत्रदान प्राप्त हुए हैं, जिससे 35 दृष्टिहीनों के जीवन में रोशनी आई है। रायपुर जिले से अप्रैल से जुलाई तक 60 नेत्रदान हुए, जिसे 24 लोगों को ट्रांसप्लांट किया गया।

राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सुभाष मिश्रा का कहना है कि प्रदेश में हर साल लोग नेत्रदान कर रहे हैं, लेकिन मांग के हिसाब से दान में मिलने वाले नेत्र की संख्या कम है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को नेत्रदान के लिए आगे आकर अपने आसपास के लोगों को भी प्रेरित करना चाहिए। नेत्रदान पखवाड़े का मूल उद्देश्य भी वहीं है। विकासशील देशों में दृष्टिहीनता, स्वास्थ्य समस्याओं में एक बड़ी समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कॉर्निया की बीमारियां (कॉर्निया का नुकसान, जो कि आंखों की अगली परत होती है) मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद, होने वाली दृष्टि हानि के प्रमुख कारणों में से एक हैं।

उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके विभिन्न अंगों को दान किया जा सकता हैं तथा उसे उन रोगियों में प्रत्यारोपित किया जा सकता है जिनको उसकी जरूरत है। ऐसा ही एक अंग है नेत्र। मृत्यु के बाद नेत्रदान से, क्षतिग्रस्त कॉर्निया की जगह पर नेत्रदाता के स्वस्थ कॉर्निया को प्रत्यारोपित किया जाता है। कार्निया प्रत्यारोपण के बाद दृष्टिहीन व्यक्ति फिर से देख सकता है। उसकी जिंदगी रोशन हो सकती है।

ये कर सकते हैं नेत्रदान
स्वास्थ्य अफसरों के मुुताबिक नेत्रदान मृत्यु के 6 घंटे के अंदर हो जाना चाहिए। नेत्रदान की सुविधा घर पर भी निशुल्क दी जाती है। यदि किसी व्यक्ति द्वारा जीवन में नेत्रदान की घोषणा न की गई हो, फिर भी रिश्तेदार मृत व्यक्ति का नेत्रदान कर सकते है। नेत्र आॅपरेशन के बाद तथा चश्मा पहनने वाले भी नेत्रदान कर सकते हैं मधुमेह (डायबिटीज) के मरीज भी नेत्रदान कर सकते हैं। वहीं जिन लोगों को मृत्यु पूर्व एड्स, पीलिया, कर्करोग (कैंसर), रेबीज सेप्टीसीमिया, टिटनेस, हेपेटाइटिस जैसी बीमारी रही हो, उनके नेत्रदान अयोग्य माने जाते हैं।

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