आखिरी दौर में क्यों सबसे ज्यादा उबल रहा पश्चिम बंगाल?

कोलकाता
भले ही पूरे देश में लोकसभा चुनाव कमोबेश शांतिपूर्ण ही निपटने की ओर हैं, लेकिन भद्रलोक कहे जाने वाले पश्चिम बंगाल में आखिरी दौर की वोटिंग की वोटिंग से पहले हिंसा का तांडव देखने को मिल रहा है। मंगलवार को बीजेपी चीफ अमित शाह के रोड शो के दौरान फैली हिंसा के बाद चुनाव आयोग ने प्रचार के टाइम को ही लगभग एक दिन कम करते हुए गुरुवार रात 10 बजे तक सीमित करने का फैसला लिया, जबकि कैंपेन शुक्रवार शाम 5 बजे तक चलना था। इस बीच गुरुवार को भी दोनों दलों के बीच घमासान चरम पर है। एक तरफ पीएम मोदी ने ममता को दमदम में शाम को होने वाली अपनी रैली को रोकने की चुनौती दी है तो दीदी ने कहा कि उन्हें विद्यासागर की मूर्ति को लेकर झूठ बोलने पर उठक-बैठक करनी चाहिए। जानें, आखिर पश्चिम बंगाल में वोटों की यह प्रतिस्पर्धा जंग के मैदान में क्यों तब्दील हुई…

आखिरी राउंड में कम सीटों के लिए बड़ी जंग
लोकसभा चुनाव के आखिरी राउंड में 59 सीटों पर वोटिंग होनी है, जिनमें से 9 सीटें पश्चिम बंगाल की हैं। भले ही सीटों की संख्या कम है, लेकिन यहां वोटों के लिए प्रतिस्पर्धा बेहद कड़ी है। वजह यह है कि इन सीटों पर परंपरागत रूप से टीएमसी मजबूत रही है और इस बार उसे बीजेपी से कड़ी चुनौती मिल रही है। इसके चलते दोनों दलों के बीच जुबानी जंग कई जगहों पर हिंसक झड़पों तक में तब्दील होती दिखी है। मंगलवार को हुई हिंसा के बाद चुनाव आयोग ने बुधवार को प्रचार का समय कम किए जाने की घोषणा करते हुए कहा कि सूबे में भय और नफरत का वातावरण है। वोटिंग वाले इलाकों में भय का माहौल है। लास्ट राउंड में दमदम, बारासात, बसीरहाट, जयनगर, मथुरापुर, डायमंड हार्बर, जाधवपुर, कोलकाता साउथ, कोलकाता नॉर्थ सीटों पर मतदान होगा।

तृणमूल कांग्रेस के लिए बड़ी लड़ाई
आखिरी चरण में जिन 9 सीटों पर मतदान होना, वे सभी तृणमूल कांग्रेस का गढ़ मानी जाती हैं। टीएमसी ने 2014 में इन सभी सीटों पर विजय हासिल की थी। इनमें से भी जाधवपुर और साउथ कोलकाता सीट तो ममता बनर्जी का गढ़ मानी जाती हैं। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत यहीं से की थी। बनर्जी ने 1984 में जाधवपुर लोकसभा सीट से सीपीएम के दिग्गज नेता और पूर्व लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी को मात दी थी। यह उनकी अब तक की सबसे चर्चित चुनावी जीत थी। इसके बाद उन्होंने साउथ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना शुरू किया और वहां से लगातार 6 बार सांसद रहीं। डायमंड हार्बर सीट भी खासी चर्चा में है क्योंकि यहां से ममता बनर्जी के भतीजे चुनावी समर में हैं।

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