असमायिक हुई बारिश से मात्र 0.13 प्रतिशत उपार्जित गेहूँ गीला हुआ

भोपाल

प्रदेश में असमायिक हुई बारिश से उपार्जित गेहूँ बहुत कम मात्रा में गीला हुआ है, जो उपार्जित गेहूँ का 1 प्रतिशत का तेरहवां हिस्सा (0.13%) है। इससे किसानों को कोई नुकसान नहीं हुआ है। जिलों से एकत्रित जानकारी के अनुसार किसी भी जिलें में भारी मात्रा में गेहूँ नहीं भीगा है। जिन जिलों में असमायिक बारिश के कारण गेहूँ गीला हुआ है। उसे सूखाकर भण्डारण की कार्यवाही की जा रही है।

राज्य सरकार ने विगत दिनों असमायिक वर्षा की संभावना को दृष्‍टिगत रखते हुए उपार्जन समितियों को गेहूँ को पानी से भीगने से बचाने के लिये तिरपाल, ड्रेनेज की व्यवस्था करने के निर्देश पूर्व में ही दिये जा चुके थे। प्रदेश में रबी विपणन वर्ष 2020-21 में ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीकृत 19.47 लाख किसानों में से 15.76 लाख (लगभग 81 प्रतिशत) किसानों से समर्थन मूल्य पर 1 करोड़ 25 लाख 88 हजार 986 मेट्रिक टन गेहूँ उपार्जन किया गया है। जो कि पिछले सभी वर्षों से अधिक है। मध्यप्रदेश पंजाब के पश्चात देश में सर्वाधिक गेहूँ उपार्जन करने वाला राज्य बन गया है। गेहूँ उपार्जन की अंतिम दिनांक 26 मई 2020 नियत थी, जिस अवधि में प्रदेश के लगभग आधे जिलों में उपार्जन का कार्य पूर्ण कर सुरक्षित भण्डारण कराया गया। शेष जिलों में विक्रय से शेष रहे किसानों से उपार्जन का कार्य कराया गया है।

प्रदेश में उपार्जित 1 करोड़ 25 लाख 88 हजार 986 मेट्रिक टन गेहूँ में से 1 करोड़ 14 लाख 71 हजार 412 मे‍ट्रिक टन (91 प्रतिशत) गेहूँ का परिवहन कर सुरक्षित गोदामों में भण्डारित किया जा चुका है। शेष 11.17 लाख मेट्रिक टन गेहूँ का परिवहन तीव्र गति से कराया जा रहा है।

कुछ जिलों में छुटपुट मात्रा में गेहूँ भीगने की जानकारी प्राप्त हुई है, जिसमें रतलाम में 8.3 मेट्रिक टन, कटनी में 10 मेट्रिक टन, धार में 25 मेट्रिक टन, सिवनी और नरसिंहपुर में 40-40 मेट्रिक टन, शिवपुरी और राजगढ़ में 50-50 मेट्रिक टन, इन्दौर में 280 मेट्रिक टन, भोपाल में 350 मेट्रिक टन आंशिक रूप से भीगा है। जिसे सुखाकर भण्डारण की कार्यवाही की जा रही है। किसी भी जिले से भीगने से गेहूँ क्षति होने की जानकारी प्राप्त नहीं है।

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