अल्पसंख्यकों के साथ हुआ छल, हम जीतेंगे उनका विश्वास: पीएम नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली 
बीजेपी और एनडीए के सर्वसम्मति से नेता चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सेंट्रल हॉल में एनडीए के नए सांसदों को संबोधित किया। अपने भाषण में मोदी ने कहा कि यह देश सत्ता भाव को नहीं बल्कि सेवा भाव को स्वीकार करता है। साथ ही मोदी बोले कि देश के अल्पसंख्यकों के साथ अबतक छल हुआ है, जिसे आगे नहीं होने दिया जाएगा। इसके अलावा यहां से मोदी ने नए सांसदों को कई तरह की नसीहतें भी दीं। 
 
'कॉन्ट्रैक्ट टाइप बन गया था चुनाव' 
अपने भाषण में पीएम ने कहा कि 2014 से पहले का चुनाव कॉन्ट्रैक्ट टाइप बन गया था, जिसमें लोग 5 साल के लिए सिर्फ किसी को चुन लेते थे और अगर वह ठीक काम नहीं करता तो उसे हटा देते। इसका जिक्र करते हुए मोदी ने आगे कहा कि कि 2014 में देश भागीदार बना। इसलिए जब पीएम ने लाल किले से खड़े होकर कह दिया कि गैस की सब्सिडी छोड़ दो तो करोड़ों लोगों ने ऐसा ही किया। मोदी ने कहा कि इसका मतलब है कि जितना प्रयास सरकार ने किया उतना ही लोगों ने किया। 

'अल्पसंख्यकों को छला गया' 
अपने भाषण के आखिर में मोदी ने अल्पसंख्यकों के साथ हुई वोटबैंक की राजनीति का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जैसा गरीबों के साथ जैसा छल हुआ, वैसा ही छल देश के अल्पसंख्यकों के साथ हुआ है। मोदी बोले, 'दुर्भाग्य से देश के अल्पसंख्यकों को उस छलावे में भ्रमित और भयभीत रखा गया है, उससे अच्छा होता कि अल्पसंख्यकों की शिक्षा, स्वास्थ्य की चिंता की जाती। 2019 में आपसे अपेक्षा करने आया हूं कि हमें इस छल को भी छेदना है। हमें विश्वास जीतना है। 
 
'विश्वास से पैदा होती है प्रो-इंकम्बेंसी लहर' 
मोदी ने कहा कि जनता ने उनपर विश्वास किया, जिसकी वजह से उन्होंने दोबारा सरकार बनाई। उन्होंने कहा, 'विश्वास की डोर जब मजबूत होती है, तो प्रो-इंकम्बेंसी वेव पैदा होती है, यह वेव विश्वास की डोर से बंधी हुई है।' उन्होंने आगे कहा कि ये चुनाव पॉजिटिव वोट का चुनाव रहा। लोग इसलिए वोट करने गए कि फिर से इस सरकार को लाना है, काम देना है, जिम्मेदारी देनी है। इस सकारात्मक सोच ने इतना बड़ा जनादेश दिया है। 

तीर्थ यात्रा जैसा था चुनावी प्रचार 
मोदी ने कहा कि यह चुनाव उनके लिए तीर्थ यात्रा जैसा था। मेरे जीवन के कई पड़ाव रहे, इसलिए मैं इन चीजों को भली-भांति समझता हूं, मैंने इतने चुनाव देखे, हार-जीत सब देखे, लेकिन मैं कह सकता हूं कि मेरे जीवन में 2019 का चुनाव एक प्रकार की तीर्थ यात्रा थी। उन्होंने कहा, एक पत्रकार से मैंने कहा था कि ये चुनाव हम नहीं लड़ रहे, मोदी, उम्मीदवार नहीं देश की जनता लड़ रही है।' वह बोले कि इसबार वह वोट मांगने नहीं धन्यवाद करने के लिए दौड़ रहे थे। मोदी ने कहा कि जनता जनार्दन ईश्वर का रूप होती है और यह उन्होंने अपनी आंखों से इसे अनुभव किया है। 
 
देश सत्ताभाव को स्वीकारता है: मोदी 
भाषण ने मोदी ने कहा कि 2014 में बीजेपी को जितने वोट मिले और 2019 में जो वोट मिले, उनमें जो वृद्धि हुई है, यह वृद्धि करीब-करीब 25 प्रतिशत है। इसके साथ वह बोले, 'सत्ता-भाव न भारत का मतदाता स्वीकार करता है, न पचा पाता है। हम चाहे बीजेपी या एनडीए के प्रतिनिधि बनकर आए हों, जनता ने हमें स्वीकार किया है सेवाभाव के कारण। हमारे लिए और देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए सेवा भाव से बड़ा कोई मार्ग नहीं हो सकता है।' 

सांसदों को मोदी ज्ञान 
मोदी ने पार्टी और गठबंधन के बड़बोले नेताओं को विभिन्न नसीहतें भी दीं। उन्होंने बिना किसी नेता का नाम लिए हुए विवादित बयान देने से बचने की सलाह दी। यहां पीएम ने कहा कि आडवाणी जब पार्टी के अध्यक्ष थे तब दो ही चीजों से बचनेकी सलाह देते थे। पहली छपास और दूसरी दिखास। मोदी ने नए सांसदों से इस मोह को छोड़ने को कहा। मोदी ने कहा, 'हमारा मोह हमें संकट में डालता है। इसलिए हमारे नए और पुराना साथी इन चीजों से बचें क्योंकि अब देश माफ नहीं करेगा। हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारियां है। हमें इन्हें निभाना है। वाणी से, बर्ताव से, आचार से, विचार से हमें अपने आपको बदलना होगा।' 

जो भी जीतकर आए हैं, सब मेरे हैं- मोदी 
एनडीए के जीतने के बाद मंत्रिमंडल पर विभिन्न खबरें चल रही हैं। इसपर मोदी ने कहा, 'इस देश में बहुत ऐसे नरेन्द्र मोदी पैदा हो गए हैं, जिन्होंने मंत्रिमंडल बना दिया है। जो भी जीतकर आए हैं, सब मेरे हैं। सरकार और कोई बनाने वाला नहीं है, जिसकी जिम्मेदारी है वही बनाने वाले हैं। अखबार के पन्नों से न मंत्री बनते हैं, न मंत्रिपद जाते हैं।'  

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