अरुण जेटली बोले- घाटी में नहीं उठेगी अलगाव की आवाज, कांग्रेस को बताया हेडलेस चिकन

 
नई दिल्ली     
    
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री जम्मू-कश्मीर के मामले पर लगातार ट्वीट करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को बधाई दी है. साथ ही उन्होंने विपक्ष को भी घेरा है. उन्होंने अपने पहले ट्वीट में लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर नीति को लेकर जो कदम उठाया है वह असंभव था. अरुण जेटली ने ट्वीट किया है कि उन्होंने अपने ब्लॉग में मोदी सरकार के इस फैसले की विवेचना की है. इसमें जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को लेकर इतिहास में हुए असफल प्रयासों का भी जिक्र किया गया है.

दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा है कि सात दशकों से कभी भी जम्मू-कश्मीर को लेकर सही कदम नहीं उठाया गया. वहां जुड़ाव कि नहीं अलगाववाद की बात होती रही. इससे वहां पर अलगाववादी मानसिकता का विकास हुआ. पाकिस्तान कई दशकों से इसी मानसिकता का फायदा उठाता आया है. कांग्रेस पार्टी तो हेडलेस चिकन की तरह है. वो भारत के लोगों से अब दूर जा रहा है. नया भारत बदल चुका है. सिर्फ कांग्रेस इस बात को समझ नहीं पा रही है. कांग्रेस नेतृत्व लगातार रेस में नीचे से अव्वल आने की ओर भाग रही है.

 
कश्मीरी पंडितों ने नाजियों जैसा दर्द झेला

1989-90 के दौरान जम्मू-कश्मीर नियंत्रण से बाहर हो गया था. अलगाववाद के साथ आतंकवाद भी तेजी से फैलने लगा. कश्मीरियत के अभिन्न हिस्से के रूप में मौजूद कश्मीरी पंडितों को उसी तरह की त्रासदी का सामना करना पड़ा जैसा नाजियों ने झेला था. नस्लीयता के शिकार कश्मीरी पंडितों को अपनी जगह छोड़कर जाना पड़ा.
 
श्यामा प्रसादजी की दृष्टि सही थी, पंडितजी का सपना गलत

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के चक्कर में इतिहास में जो गलतियां हुईं उससे राजनीतिक और आर्थिक नुकसान हुआ. आज, फिर से इतिहास लिखा गया है. इससे प्रमाणित होता है कि कश्मीर को लेकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जो दृष्टि थी वह सही थी. वहीं, पंडितजी का जो सपना था वह असफल हो गया.
 
जैसा कानून पूरे देश में होगा, वैसा ही कश्मीर भी लागू होगा

पिछले 70 सालों में इस मामले को सुलझाने के लिए जो भी प्रयास किए गए वे असफल रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैकल्पिक रास्ता चुना. केंद्र सरकार के वर्तमान निर्णय से स्पष्ट हो गया है कि जैसा कानून पूरे देश में लागू है, वैसा ही जम्मू-कश्मीर में भी रहेगा. अगर आप पिछले 10 महीनों को देखें तो घाटी में कोई विरोध-प्रदर्शन नहीं हुए हैं. श्रीनगर में तो एक भी नहीं. कानून व्यवस्था के चलते लाखों कश्मीरी शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं. इसकी वजह से अलगाववादियों और आतंकवादियों में बौखलाहट है. अगला जो भी कदम होगा उसस

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