अयोध्या : 28 सालों में दूसरी बार रामलला को मिला न्यूनतम चढ़ावा

 अयोध्या 
                  
रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला को इस पखवारे न्यूनतम चढ़ावे की राशि प्राप्त हुई। बीते 28 सालों में ऐसा दूसरी बार हुआ है। इसके पहले वर्ष 2002 में शिलादान के दौरान यहां महीनो चले अघोषित कफ्र्यू के दौरान भी ऐसी ही स्थिति आई, जब अयोध्या में श्रद्धालुओं के आवागमन पर पूरी तरह से रोक लग गई। उस दौरान भी मंदिरों के व्यवस्थापकों को भारी घाटा उठाना पड़ा। इस बार भी कोरोना की वैश्विक महामारी के कारण देश भर में घोषित लॉकडाउन के चलते रामनवमी मेला ही नही हो सका।

यही कारण है कि इस पखवारे रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला को न्यूनतम चढ़ावा ही प्राप्त हुआ। वह भी यह चढ़ावा तब आ सका जबकि लाकडाउन के बाद भी रामजन्मभूमि में दर्शन पर कोई रोक नही लगाई गई। इसके विपरीत शेष मंदिरों को जिला प्रशासन के निर्देश पर आम श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया। इसके चलते इन सभी मंदिरों में आमदनी शून्य हो गई। उधर रामजन्मभूमि में चढ़ावा राशि की गिनती प्रत्येक माह की पांचवी और बीसवीं तारीख को की जाती है।

इस कड़ी में चढ़ावा की गिनती रामजन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी डा. अनिल मिश्र की मौजूदगी में भारतीय स्टेट बैंक की अयोध्या शाखा के कर्मचारियों ने मशीन के माध्यम से की लेकिन चढ़ावे की राशि इतनी कम थी कि मशीन की जरुरत ही नहीं रही। फिर भी कोरोना महामारी से सावधानी को लेकर कर्मचारियों ने मैनुवल गिनती से परहेथ किया। बताया गया कि चढ़ावे की कुल राशि महज 13 हजार ही थी जबकि इसके पहले पखवारे में साढ़े आठ लाख  का चढ़ावा रामलला को प्राप्त हुआ था।

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