अयोध्या मामलाः मुस्लिम पक्ष के वकील बोले- मूर्खतापूर्ण आधार पर मुझे इस प्रकरण से हटाया गया

 नई दिल्ली 
वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने मंगलवार को कहा कि उन्हें अस्वस्थ होने जैसे मूर्खतापूर्ण आधार पर राम जन्मभूमि विवाद प्रकरण से हटा दिया गया है। धवन ने शीर्ष न्यायालय में इस प्रकरण में मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पैरवी की थी और उन्होंने ही सुनवाई के दौरान कोर्ट के अंदर पांच जजों की पीठ के समक्ष रामजन्म स्थान का नक्शा फाड़ दिया था। 

इस प्रकरण में शीर्ष अदालत के 9 नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार के लिए मौलाना अरशद मदनी की ओर से याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता एजाज मकबूल ने कहा था कि डॉ. धवन को अस्वस्थता की वजह से इस मामले से हटा दिया गया है। धवन ने इस संबंध में फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अब इस मामले में पुनर्विचार या किसी अन्य तरह से उनका संबंध नहीं है। 

मुस्लिम पक्ष मतभेद सुलझाएं : धवन

धवन ने कहा, ‘मैंने एकजुटता के साथ सभी मुस्लिम पक्षकारों की ओर से इस मामले में बहस की थी और ऐसा ही चाहूंगा। मुस्लिम पक्षकारों को पहले अपने मतभेद सुलझाने चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि अस्वस्थ होने की वजह से उन्हें हटाए जाने के बारे में मकबूल के सार्वजनिक वक्तव्य के बाद ही उन्होंने फेसबुक पर अपनी राय व्यक्त की। यदि मैं अस्वस्थ हूं तो फिर मैं दूसरे मामलों में यहां कोर्ट में कैसे पेश हो रहा हूं। मुस्लिम पक्षकारों के मसले के प्रति मेरी प्रतिबद्धता है लेकिन इस तरह का बयान पूरी तरह गलत है।’

वजह दुर्भावनापूर्ण

धवन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जमीयत का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता मकबूल द्वारा उन्हें बाबरी मामले से बर्खास्त कर दिया गया है। एओआर (एडवोकेट ऑन रिकार्ड) मकबूल, जो जमीयत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, द्वारा (मुझे) बाबरी प्रकरण से हटा दिया गया है। किसी आपत्ति के बगैर ही बर्खास्तगी स्वीकार करने का औपचारिक पत्र भेज दिया है। मैं पुनर्विचार या इस मामले से अब जुड़ा नहीं हूं। धवन ने आगे लिखा, मुझे सूचित किया गया है कि मदनी ने संकेत दिया है कि मुझे इस मामले से हटा दिया गया है क्योंकि मैं अस्वस्थ हूं। यह पूरी तरह बकवास है। उन्हें मुझे हटाने के लिए अपने मकबूल को निर्देश देने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए बताई जा रही वजह दुर्भावनापूर्ण है।

पुनर्विचार याचिका पर चेंबर में सुनवाई 

मुस्लिम पक्ष की पुनर्विचार याचिका पर उच्चतम न्यायालय में पांच जजों की पीठ चेंबर में विचार करेगी। इस पीठ में अब मुख्य न्यायाधीश एसए बोब्डे एक जज और जोडेंगे, क्योंकि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई रिटायर हो चुके हैं। चेंबर में विचार करने के बाद पीठ यदि चाहेगी तो याचिका को खुले कोर्ट में बहस के लिए लाएगी। अन्यथा उसे पीठ द्वारा चेंबर में ही निस्तारित कर दिया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *