अयोध्या केस: शिया वक्फ बोर्ड ने किया हिंदू पक्ष का समर्थन

 
नई दिल्ली 

सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई हुई. आज सुनवाई का 16वां दिन है. श्री रामजन्म भूमि पुनरुत्थान समिति के वकील पी.एन. मिश्रा ने शुक्रवार को अदालत में अपनी दलीलें दीं. उन्होंने अपनी दलील पूरी की  और उसके बाद हिंदू महासभा के वकील हरिशंकर जैन ने अपनी बातें रखीं. इस दौरान उनकी तरफ से कई ऐतिहासिक तथ्यों का जिक्र किया गया. इस मामले की सुनवाई हफ्ते में पांच दिन चल रही है. अभी तक निर्मोही अखाड़ा, रामलला के वकील अपनी दलील पूरी कर चुके हैं.

शुक्रवार को हुई सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई…
 शिया वक्फ बोर्ड की ओर से वकील एमसी धींगरा ने कहा कि 1936 में शिया सुन्नी वक्फ बोर्ड बनाने की बात तय हुई और दोनों की वक्फ सम्पत्तियों की सूची बनाई जाने लगी. 1944 में बोर्ड के लिए अधिसूचना जारी हुई. वो मस्जिद शिया वक्फ की संपत्ति थी लेकिन हमारा मुतवल्ली शिया था. गलती से इमाम सुन्नी रख दिया गया. हम इसी वजह से मुकदमा हारे.

उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड में दर्ज है कि 1949 में मुतवल्ली जकी शिया था. कोर्ट ने कहा कि आप हिन्दू पक्ष का विरोध नहीं कर रहे हैं, बस इतना ही काफी है. सीजीआई ने कहा कि हाईकोर्ट में आपकी अपील 1946 में खारिज हुई और आप 2017 में SLP लेकर सुप्रीम कोर्ट आए. इतनी देरी क्यों? जिस पर शिया वक्फ बोर्ड की ओर से वकील ने कहा कि हमारे दस्तावेज सुन्नी पक्षकारों ने जब्त किए हुए थे. अब सोमवार से सुन्नी वक्फ बोर्ड दलील शुरू करेगा.
 हिंदू महासभा के वकील ने कोर्ट में कहा कि एक बार मंदिर बन गया तो हमेशा मंदिर ही रहता है. राम और कृष्ण हमारे देश की संस्कृति की धरोहर हैं. ये स्थापित दलील है कि बाबर ने मन्दिर तोड़कर मस्जिद का रूप दिया. उन्होंने कहा कि संविधान की मूल प्रति के तीसरे चैप्टर में भी राम की तस्वीर है, राम संवैधानिक पुरुष भी हैं.

हरिशंकर जैन ने कहा कि राम अयोध्या में महल में पैदा हुए थे. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये तो विश्वास की बात है. वकील बोले कि ये विश्वास नहीं, सही है क्योंकि सभी ग्रंथ यही कहते हैं. हिंदू महासभा के दूसरे वकील विरेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि जो मांग याचिका में नहीं थी वो फैसला कैसे किया गया?
 लंच के बाद एक बार फिर अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू हो गई है. अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान शिया वक्फ बोर्ड के काउंसल ने बहस की अपील की. उन्होंने कहा कि वह हिंदू पक्ष का समर्थन करते हैं और अपनी बात अदालत में रखना चाहते हैं. इस पर चीफ जस्टिस ने उन्हें कहा कि आप बैठ जाइए. गौरतलब है कि शिया वक्फ बोर्ड इस केस में कोई पार्टी नहीं है.
 सुप्रीम कोर्ट में इस वक्त लंच हो गया है. लंच के बाद सुनवाई फिर शुरू होगी.
 हिंदू महासभा के वकील हरिशंकर जैन ने कोर्ट में कहा कि ये जगह शुरू से हिंदुओं के अधिकार में रही है. आज़ादी के बाद भी हमारे अधिकार भी सीमित क्यों रहें? क्योंकि 1528 से 1885 तक कहीं भी और कभी भी मुसलमानों का यहां कोई दावा नहीं था.

वकील ने ब्रिटिश सर्वाईवर मार्टिन के रिसर्च को आगे बढ़ाते हुए उसी हवाले से 1838 में इस जगह का ज़िक्र किया है. उस किताब में भी हिंदू पूजा परिक्रमा की जाती थी, तब किसी मस्जिद का ज़िक्र नहीं था. इसके अलावा ट्रैफन ने भी किसी मस्जिद का ज़िक्र नहीं किया है, हैरत है कि तब के मुस्लिम इतिहासकारों ने भी मस्जिद का ज़िक्र नहीं किया.

हरिशंकर जैन बोले कि हिंदुओं के पूजा के अधिकारों को अंग्रेजों ने सीमित कर दिया था. आज़ादी मिलने और संविधान लागू होने के बाद भी जब अनुच्छेद-25 लागू हुआ फिर भी हमें पूजा का पूरा अधिकार नहीं मिला. अनुच्छेद-13 का हवाला देते हुए हरिशंकर जैन ने कहा कि आज़ादी से पहले चूंकि हमारा कब्ज़ा था तो वो बरकरार रहना चाहिए.

हिंदू महासभा के वकील ने अदालत में कहा कि आक्रांताओं ने हमारे धर्मस्थल नष्ट किए और लूटपाट की. इस्लाम के मुताबिक ये लूट उनके लिए माल की गनीमत था, कुरान का हवाला देते हुए वकील ने कहा कि धर्म की आड़ में युद्ध से मिला सामान सेनापति को मिलता था और वो सबको बांटते थे.

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