अयोध्या अब वेटिकन सिटी की तर्ज पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की धर्मनगरी के रूप में विकसित होगी

 लखनऊ 
भगवानराम की नगरी अयोध्या अब वेटिकन सिटी की तर्ज पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की धर्मनगरी के रूप में विकसित की जाएगी। यह एक ऐसी धर्मनगरी बनेगी जहां भारतीय आध्यात्मिकता, संस्कृति, धार्मिक परम्पराओं के मूर्त और अमूर्त दोनों स्वरूप मौजूद रहेंगे। रामायण और भगवान राम से जुड़ी पूरी विरासत को संजोने व प्रस्तुत करने वाली शास्त्रीय, लोक-जनजातीय और आधुनिक प्रदर्श व दृश्य कलाओं, साहित्य, बौद्धिक परंपराओं को समेटे अयोध्या देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने वाला केंद्र भी बनेगी।
                
हाई क्वालिटी मल्टीमीडिया शैक्षिक सामग्री
विदेश मंत्रालय ने अयोध्या शोध संस्थान को लिखा पत्र, रामायण इन्साइक्लोपीडिया समेत अयोध्या के विकास पर कई अहम सुझाव दिए हैं। इस पत्र में रामायण और भगवान राम के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित ऐसी हाई क्वालिटी मल्टीमीडिया शैक्षिक सामग्री विकसित किये जाने की सलाह दी गई है जिसमें दार्शनिकता, ऐतिहासिकता, कलात्मकता के साथ तकनीक का भी समावेश हो। साथ ही यूरोप, लैटिन अमेरिका, मध्य एशिया के देशों के साथ मिलकर भगवान राम की पूरी जीवनगाथा से जुड़ी मूर्तियों, स्मारकों, साहित्य, कला आदि पर विस्तृत शोध और सर्वे तथा अनुवाद का भी सुझाव दिया गया है। 

धार्मिक कट्टरता व मौजूदा जीवन की जटिलताओं का मिलेगा जवाब
रामायण की थीम पर आधारित देश और विदेश में विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ ही धार्मिक अतिवाद, असहिष्णुता, के साथ ही वर्तमान जीवन में नई पीढ़ी के सामने दरपेश  पर्यावरण, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक चुनौतियों का सामना करने के लिए भगवान राम की जीवनगाथा को सामयिक व प्रासंगिक बनाती हुई कुछ नई  प्रस्तुतियां करवाने का भी सुझाव दिया गया है।  

वेटिकन सिटी की तर्ज पर हो विकास
पत्र में सुझाव दिया गया है कि रामायण इन्साइक्लोपीडिया के लिए अयोध्या के बहुआयामी पक्षों को समाहित करने वाली प्रासंगिक सूचनाएं, सामग्री को संजोते हुए अयोध्या को भारतीय धर्म,अध्यात्म, संस्कृति के मूर्त-अमूर्त स्वरूप के नाड़ीतंत्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। पत्र के अनुसार वेटिकन सिटी जैसे दुनिया के अन्य प्रमुख धार्मिक शहरों की ही तरह अयोध्या को भी भगवान राम और रामकथा से जुड़े हस्तशिल्प, स्मारक, रिप्लिका के हब के रूप में एक ब्रांड बनाया जाए।

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