अमेरिका ने साफ कहा, भारत-पाक शांति की जिम्मेदारी इस्लामाबाद पर है

वॉशिंगटन 
आतंकियों को संरक्षण देने वाले देश के तौर पर बदनाम हो चुके पाकिस्तान को अमेरिका ने आईना दिखाया है। अमेरिका ने पाकिस्तान की सरकार को साफ शब्दों में कहा है कि आतंकी समूहों को अलग-थलग कर दक्षिण एशिया में शांति लाने की जिम्मेदारी उसकी है। अमेरिका की तरफ से यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में इमरान खान की तरफ से भेजे गए नए शांति संदेशों के बीच आई है।  

आपको बता दें कि इमरान ने भारत में नई सरकार के गठन के बाद प्रधानमंत्री मोदी को लिखी दूसरी चिट्ठी में कहा है कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे समेत सभी मतभेदों को सुलझाने के लिए नई दिल्ली के साथ बात करना चाहता है। इमरान ने कहा कि दोनों देशों की जनता को गरीबी से उबारने के लिए वार्ता ही एकमात्र समाधान है और क्षेत्र के विकास के लिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है। 

हालांकि, भारत ने बातचीत के पाकिस्तान के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा है कि आतंकवाद और बातचीत साथ नहीं चल सकती और किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में 13-14 जून को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से इतर दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच किसी द्विपक्षीय मुलाकात की योजना नहीं है। 

इन सबके बीच वाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'वास्तव में अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान में गिरफ्तारियां हों और मुकदमे चलें तथा आतंकी समूहों के लोगों को आजाद घूमने, हथियार खरीदने, भारत में प्रवेश करने और हमले करने नहीं दिए जाएं।' 

नाम जाहिर नहीं होने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ऐसे सतत कदम देखना चाहता है जिनसे आतंकियों की गतिविधियां बंद हो जाएं। भारत-पाक के बीच तनाव पर अमेरिका के आकलन से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए वाइट हाउस के अधिकारी ने कहा, 'जब तक इन समूहों को अलग-थलग नहीं किया जाता, तब तक भारत और पाकिस्तान के लिए सतत शांति हासिल करना बहुत कठिन है इसलिए इन समूहों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है।' 

विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पुलवामा आतंकी हमले के मद्देनजर अमेरिका ने पाकिस्तान को प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के खिलाफ कुछ शुरुआती कदम उठाते देखा है। अधिकारी ने कहा, 'हम इन कदमों का स्वागत करते हैं। हमने हमेशा इस बात पर सहमति जताई है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बुनियादी कारणों पर ध्यान देना जरूरी है। यह तनाव आतंकी ताकतों की वजह से है जिनकी पाकिस्तान की सरजमीं पर पनाहगाह हैं इसलिए हम निश्चित रूप से एक ऐसे माहौल के निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं जिसमें संवाद हो।' 

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