अमेरिका ने नहीं लगाई बोइंग 737 MAX पर रोक, क्या ट्रंप प्रशासन से करीबी है वजह

 
नई दिल्ली 

इथियोपिया में रविवार को भीषण विमान दुर्घटना के बाद  बोइंग के 737 MAX पर सवाल खड़े किए जाने लगे हैं. भारत सहित दुनिया के कई देशों ने बोइंग के 737 MAX विमान के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. लेकिन अमेरिका ने अभी इस पर रोक नहीं लगाई है, इसको लेकर राष्ट्रपति ट्रंप की आलोचना भी की जा रही है. अमेरिकी बोइंग कंपनी अब भी इस बात पर कायम है कि उसका यह विमान पूरी तरह से सुरक्ष‍ित है.

MAX पर फिर उठी उंगली

गौरतलब है कि इथियोपिया एयरलाइंस की फ्लाइट ईटी 302 आदिस अबाबा के दक्ष‍िण-पूर्व में बिशोफ्टू के पास मंगलवार को दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी जिसमें 157 लोग मारे गए थे. यह एक बोइंग 737 MAX विमान था. करीब पांच माह पहले इंडोनेशिया में भी एक 737 MAX विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें 189 लोग मारे गए थे. इसके बाद बोइंग के 737 MAX पर सवाल उठाए जाने लगे. इसके बाद भारत सहित स्विट्जरलैंड, मेक्सिको, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, चीन, साउथ अफ्रीका, कुवैत ने इस विमान के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. भारत में नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने बोइंग- 737 MAX विमानों को तत्काल उड़ानों से हटाने का निर्णय लिया है. यूरोपीय यूनियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी ने भी बोइंग 737-8 और 737-9 की सभी उड़ानों को निलंबित कर दिया है.

लेकिन अमेरिकी एविएशन रेगुलेटर ने कहा कि वह इन विमानों को नहीं हटाएंगे क्योंकि उन्होंने जो जांच की उसमें विमान के प्रदर्शन का कोई मसला सामने नहीं आया है. बोइंग ने भी कहा है कि उसे अपने विमान पर पूरा भरोसा है.

भारत में इस बैन का सबसे ज्यादा असर स्पाइस जेट पर होगा, जिसके बेड़े में ऐसे 12 विमान हैं. इससे हवाई किराया बढ़ने की भी आशंका है. इसके पहले बोइंग का पुराना 737 विमान इस उद्योग के सबसे प्रतिष्ठित विमानों में माना जाता था. लेकिन साल 2017 में बोइंग ने नया मैक्स 8 विमान लॉन्च किया जिससे ईंधन इस्तेमाल के हिसाब से अब तक का सबसे किफायती विमान माना जाता है. अब तक कंपनी ऐसे 350 विमान बेच चुकी है.

अमेरिका में रोक नहीं

ऐसा कहा जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप प्रशासन से बोइंग कंपनी से करीबी रिश्ते हैं. इसीलिए वह अमेरिका में बोइंग 737 MAX विमान के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगा रहे हैं. समाचार एजेंसी रायटर्स के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति खुद कभी एयरलाइंस के मालिक रह चुके हैं. राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने 1989 से 1992 तक ट्रंप शटल के नाम से एविएशन कंपनी चलाई थी. उनके पास अपना निजी जेट विमान भी था. अमेरिकी अधिकारियों ने बार-बार यह कहा कि बोइंग 737 MAX विमान को हटाया नहीं जाएगा. पांच सीनेटर के एक ग्रुप और कई अमेरिकी अधिकारियों ने यह सवाल उठाया है कि आखिर अमेरिकी एविएशन एजेंसी बाकी देशों की तरह कदम क्यों नहीं उठा रही.

आलोचक कहते हैं कि बोइंग और ट्रंप प्रशासन के बीच रिश्ता काफी मजबूत है. ट्रंप बोइंग के विमानों का इस्तेमाल करते रहे हैं. उन्होंने बोइंग के विमानों में यात्रा करने के दौरान ही अमेरिका के बारे में कई अहम घोषणाएं की हैं. अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री पैट्रिक शनाहन पेंटागन में आने से पहले 31 साल पहले बोइंग के लिए काम कर चुके हैं. बोइंग ने निक्की हेली को भी अपने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल होने के लिए नामित किया था, जो कि संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत रह चुकी हैं. बोइंग चीन में अमेरिका का सबसे बड़ा निर्यातक भी है.

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