अमेरिका के साथ करीब 10 अरब डॉलर के रक्षा सौदे करने की तैयारी में भारत

नई दिल्ली
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और आव्रजन के मुद्दे पर जारी तकरार के बीच दोनों देश रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी डील की तैयारी में हैं। खबरों के मुताबिक नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच 10 अरब डॉलर के रक्षा करार हो सकते हैं। इस करार में अमेरिका से मेरटाइम पट्रोल एयरक्राफ्ट पी-8 भी शामिल होगा। रक्षा मंत्रालय ने हमारे सहयोगी अखबर टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि यह रक्षा करार अमेरिका के फॉरन मिलिटरी सेल्स प्रोग्राम के तहत होगा।

सूत्रों ने बताया, 'एक रक्षा मंत्रालय की एक कमिटी ने पिछले सप्ताह ही 10 पी-8आई विमानों की खरीद को मंजूरी दे दी थी। अब इसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली डिफेंस अक्वीजिशन काउंसिल के पास मंजूरी के लिए अगस्त तक भेजा जाएगा।' एक सूत्र ने यह भी कहा कि नए पी-8आई विमान भारत द्वारा पहले खरीदे गए 12 विमानों पी-8आई से ज्यादा अडवांस होंगे। भारतीय नौसेना में पहले पी-8आई विमान को 2013 में शामिल किया गया था। फिलहाल ऐसे 8 विमान नौसेना के पास हैं और बाकी चार विमान जुलाई 2021-22 तक नौसेना को मिल जाएंगे।

बोइंग द्वारा निर्मित यह विमान सेंसर्स से लैस हैं। यह विमान दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। नौसेना एक दर्जन से ज्यादा पी-8आई विमान चाहती थी लेकिन अमेरिका से 2.5 अरब डॉलर के 30 सशस्त्र सी गार्जियन (प्रिडेटर-बी) ड्रोन की खरीद के बाद नौसेना 10 विमानों के लिए सहमत हुई। इनमें से नौसेना, भारतीय वायुसेना और सेना को 10-10 मिलेंगे। इन हंटर-किलर ड्रोन्स का मामला डिफेंस अक्वीजिशन काउंसिल के पास भेजा जा चुका है।

इनके अलावा 24 नेवल मल्टीरोल एमएच-60 'रोमियो' हेलिकॉप्टर्स (2.6 अरब डॉलर), दिल्ली के ऊपर मिसाइल शील्ड के लिए नैशनल अडवांस्ड सर्फेस टू एयर मिसाइल सिस्टम-2 (लगभग 1 अरब डॉलर) की डील के साथ ही छह और अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर्स (930 मिलियन डॉलर) की डील समेत कई अन्य सौदे अभी पाइपलाइन में है। वहीं साल 2007 से भारत अमेरिका के साथ 17 अरब डॉलर के डिफेंस डील कर चुका है। साथ ही दोनों देशों ने कई मोर्चों पर अपनी रणनीतिक साझेदारी का विस्तार किया है, लेकिन इसके बावजूद भारत सीएएटीएसए के तहत वित्तीय प्रतिबंधों के खतरे का लगातार सामना कर रहा है।

भारत और रूस के बीच अक्टूबर 2018 में एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम की खरीद के लिए लगभग 5.43 अरब डॉलर की डील हुई थी। इस डील को लेकर भी अमेरिका अपना विरोध जता चुका है। इसके बाद भारत ने मार्च 2019 में भारत ने परमाणु क्षमता वाली हमलावर पनडुब्बी 10 साल के लिए पट्टे पर लेने के लिए रूस के साथ तीन अरब डॉलर का समझौता किया था। सीएएटीएसए से भारत को छूट मिलती है या नहीं, इसका पता अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के भारत आने के बाद ही पता चल पाएगा।

भारत ने एक नए तंत्र के माध्यम से पहले किए गए रक्षा सौदों के लिए रूस को भुगतान शुरू किया है। नया तंत्र विदेशी मुद्रा और रुपये-रूबल ट्रांसफर सिस्टम को मिलाकर काम करता है। सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंधों के खतरे से बचने के लिए कुछ भारतीय बैंकों ने रूस को भुगतान करना बंद कर दिया था। एक सूत्र ने बताया, 'अमेरिका को यह महसूस करना होगा कि भारत और रूस के बीच एक अलग तरह की रणनीतिक साझेदारी काफी लंबे समय से चली आ रही है, जिसे खत्म नहीं किया जा सकता। एस -400 डील को खत्म करने के बारे में भारत सोच भी नहीं रहा है।'

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