अमरनाथ यात्रा: 26 साल, 14 हमले, 68 मौतें, इस बार सुरक्षा की चुनौती सबसे बड़ी

 
नई दिल्ली 

जम्मू-कश्मीर में पवित्र अमरनाथ यात्रा आज से शुरू हो रही है. 1 जुलाई से यह यात्रा 15 अगस्त तक चलेगी. इस यात्रा की सुरक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार, सुरक्षाबलों और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पुख्ता इंतजाम किए हैं. पाकिस्तान के साथ सख्त रुख अपनाने और घाटी में आतंकियों के सफाये के लिए चल रहे ऑपरेशन ऑलआउट के मद्देनजर इस बार अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा एजेंसियां अतिरिक्त सतर्कता बरत रही हैं. खासकर 2017 के हमले और इस साल फरवरी के पुलवामा हमले के बाद से अमरनाथ यात्रा पर मंडरा रहे खतरे का लेवल भी हाई हो गया है.

इस बार क्यों है बड़ी चुनौती?

14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा हमले के बाद से घाटी में आतंकवाद के खिलाफ केंद्र का सख्त स्टैंड जारी है. सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन ऑलआउट में इस साल अब तक 130 आतंकियों को ढेर किया है. कश्मीर में आने वाले महीनों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. ऐसे में आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं. इसके मद्देनजर अमरनाथ यात्रा को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है.

हाल में 12 जून को हुए अनंतनाग हमले ने अमरनाथ यात्रा के लिए खतरे का अलर्ट और बढ़ा दिया है. अमरनाथ यात्रा के रूट में पड़ने वाले अनंतनाग में 12 जून को आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में सीआरपीएफ के 5 जवान शहीद हो गए. जबकि आतंकियों से लोहा लेते हुए अनंतनाग के पुलिस इंस्पेक्टर अरशद खान भी शहीद हो गए थे.

खुफिया अलर्ट ने बढ़ाई चिंता

खासकर बालटाल रूट से अमरनाथ यात्रा को आतंकी निशाना बना सकते हैं ऐसी खुफिया अलर्ट भी है. जम्मू रेलवे स्टेशन से लेकर पवित्र अमरनाथ यात्रा के पूरे रूट पर 40 हजार से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया है ताकि आतंकी किसी हिंसक वारदात को अंजाम न दे सकें.

कब-कब अमरनाथ यात्रा को आतंकियों ने बनाया निशाना-

1980 के दशक के आखिर में कश्मीर में पाकिस्तान की शह पर आतंकवाद का उभार हुआ. आतंकियों ने साल 1993 में पहली बार अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाया. लेकिन अमरनाथ यात्रा उस सबसे बड़ा हमला हुआ साल 2000 में. जिसमें 32 श्रद्धालुओं की जान गई. 2017 में श्रद्धालुओं की बस पर हुआ हमला सबसे ताजा हमला है. 1993 से अबतक 26 साल में अमरनाथ यात्रा पर 14 हमले हो चुके हैं जिनमें 68 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है.

– 1993: पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन हरकत उल अंसार और लश्कर ए तैय्यबा की लगातार धमकियों के बीच 1993 में अमरनाथ यात्रा पर पहला हमला हुआ था. उस साल हुए दो हमलों में तीन लोगों ने अपनी जान गंवाई.

– वर्ष 1994 में भी अमरनाथ यात्रा पर एक आतंकी हमला हुआ. जिसमें दो अमरनाथ यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ी.

-अमरनाथ यात्रियों पर तीसरा हमला 1995 में हुआ. उस साल अमरनाथ यात्रियों पर तीन हमले हुए, हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ.

– साल 1996 में फिर अमरनाथ यात्रियों पर दो हमले हुए. लेकिन जान-माल का नुकसान नहीं हुआ.

– 2 अगस्त 2000: आतंकियों की सबसे बड़ी साजिश

आतंकियों ने साल 2000 में अमरनाथ यात्रा पर सबसे बड़ा हमला किया. आतंकियों ने 2 अगस्त 2000 को अमरनाथ यात्रियों के पहलगाम बेस कैंप में अंधाधुंध फायरिंग की. इस हमले में 32 श्रद्धालु, स्थानीय दुकानदार और पोर्टरों की जान गई. इस बर्बर आतंकी हमले में 60 से अधिक लोग घायल भी हुए. इस हमले के पीछे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा का हाथ बताया गया. ये हमला अमरनाथ यात्रा पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा हमला है.

– 20 जुलाई 2001: श्रद्धालुओं के कैंप पर फेंके गए हथगोले

20 जुलाई 2001 को आतंकियों ने पहलगाम बेस कैंप से आगे शेषनाग लेक के पास अमरनाथ यात्रियों के एक कैंप पर दो हथगोले फेंके. जिसमें 12 लोगों की मौत हुई और 15 लोग घायल हुए थे.

– 30 जुलाई 2002: श्रीनगर में श्रद्धालुओं की टैक्सी को बनाया निशाना

30 जुलाई 2002 को आतंकियों ने श्रीनगर में अमरनाथ यात्रा के लिए जा रहे श्रद्धालुओं की प्राइवेट टैक्सी पर हमला किया. इस हमले में दो यात्रियों की मौत हो गई और दो लोग घायल हुए.

– 6 अगस्त 2002: यात्रियों के कैंप पर ग्रेनेड हमला

पहलगाम के ननवान कैंप के पास लश्कर के आतंकियों ने 6 अगस्त 2002 को ग्रेनेड फेंका और गोलीबारी की. इस हमले में 9 लोगों की मौत हुई और 27 लोग घायल हुए.

– 2006: यात्रियों की बस को बनाया निशाना

साल 2006 में आतंकियों ने फिर अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाया. आतंकियों ने अमरनाथ यात्रियों की बस पर ग्रेनेड फेंका. जिसमें एक श्रद्धालु की मौत हो गई थी.

-10 जुलाई 2017: 11 साल की शांति के बाद कोहराम

2006 के हमले के बाद करीब 11 साल तक आतंकी अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने में सफल नहीं हो सके. लेकिन 10 जुलाई 2017 को फिर आतंकियों ने अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाया. अनंतनाग में आतंकियों ने अमरनाथ यात्रियों की बस पर अंधाधुंध फायरिंग की. जिसमें 7 अमरनाथ यात्रियों की मौत हो गई और 32 लोग घायल हुए.

हालांकि, यात्रियों की ये बस सुरक्षाबलों के आधिकारिक काफिले का हिस्सा नहीं थी. इसलिए आतंकी अपने मंसूबे में सफल हो गए. लश्कर आतंकी अबु इस्माइल की अगुवाई में आतंकियों ने इस हमले की प्लानिंग की थी और अंजाम दिया था. सुरक्षाबलों ने इस हमले में शामिल आतंकी मॉड्यूल के खिलाफ कई ऑपरेशन चलाए और 60 दिन के अंदर पूरे आतंकी मॉड्यूल का सफाया कर दिया.

अब इस बार सुरक्षाबलों के सामने कड़ी चुनौती है यात्रा को सुरक्षित संपन्न कराने की. इस साल 1 जुलाई से 15 अगस्त 2019 तक अमरनाथ यात्रा चलेगी. सुरक्षाबलों ने पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए हैं. 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *