अब देसी कंपनियों से ही खरीदा जाएगा आर्मी का यह सामान

नई दिल्ली
आर्मी की जरूरत का सामान अगर भारत में बन रहा है और जरूरत के मुताबिक भारतीय कंपनी उसे तैयार कर सकती है तो उसे अब भारतीय कंपनी से ही खरीदा जाएगा। आर्मी ने बुलेट प्रूफ जैकेट, हाई एल्टीट्यूड के लिए जरूरी कपड़े जैसी टेक्निकल टेक्सटाइल के लिए गाइडलाइन को लागू कर दिया है। धीरे धीरे इसे क्लोदिंग के अलावा बाकी इक्विपमेंट पर भी लागू किया जाएगा।

50 लाख तक का सामान सिर्फ भारतीय कंपनी से
आर्मी अगर 50 लाख रुपए तक के सामान के लिए टेंडर निकालेगी और वह प्रॉडक्ट भारतीय कंपनी भी बना रही है तो यह टेंडर सिर्फ भारतीय कंपनियों के लिए ही होगा। जो भी भारतीय कंपनी सबसे कम कीमत में वह देगी वह सामान भारतीय कंपनी से ही लिया जाएगा। आर्मी के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक टेक्निकल टेक्सटाइल में बुलेट प्रूफ जैकेट भी शाामिल है। इसके अलावा हाई एल्टीट्यूड में सेना के जवानों के लिए जरूरी जैकेट, इनर, थ्री लेयर ग्लब्ज, मल्टी परपज बूट, सॉफ्ट स्नो पर चलने वाले बूट, हार्ड स्नो और स्नो के पहाड़ पर चलने वाले बूट्स (बूट क्रैपऑन), स्लीपिंग बैग यह सब भी टेक्निकल क्लोदिंग में आता है।

ज्यादा कीमत पर भी भारतीय कंपनी को मौका
अगर आर्मी 50 लाख रुपए से ज्यादा की टेक्निकल क्लोदिंग खरीदती है तो इसके लिए विदेशी कंपनियां भी टेंडर डाल सकती हैं। लेकिन अगर सबसे कम कीमत किसी विदेशी कंपनी की हुई तो भी कोशिश होगी कि इस ऑर्डर का 50 पर्सेंट भारतीय कंपनी को मिले। तब 50 पर्सेंट सामान विदेशी कंपनी से लिया जाएगा और 50 पर्सेंट के लिए सबसे कम कीमत लगाने वाली भारतीय कंपनी से पूछा जाएगा कि क्या वह उस कीमत पर सामान दे सकती है जो कीमत विदेशी कंपनी ने लगाई है और जो सब बिडर्स में सबसे कम है। अगर ऐसी स्थिति हो कि सारा सामान एक ही कंपनी से लेना जरूरी है और सबसे कम कीमत किसी विदेशी कंपनी ने लगाई है तो भी बिड में शामिल भारतीय कंपनी से पूछा जाएगा कि क्या वह उस कीमत पर सामान देने को तैयार हैं। अगर वह तैयार होती है तो फिर वह टेंडर भारतीय कंपनी को ही दिया जाएगा।

कितना पर्सेंट भारतीय कंपनियों को
हाल ही में इस संबंध में मुंबई में मीटिंग हुई जिसमें आर्मी ऑफिसर्स भी शामिल थे। आर्मी के एक ऑफिसर के मुताबिक टेक्सटाइल में भारतीय कंपनियों को तरजीह देने की गाइडलाइन लागू हो गई है। अब इस पर चर्चा चल रही है कि किस तरह के इक्विपमेंट में भारतीय कंपनियों का कितना हिस्सा तय किया जा सकता है। इसके लिए देखा जा रहा है कि भारतीय कंपनियां क्या क्या इक्विपमेंट बना रही हैं और किस क्वालिटी का बना रही हैं।

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