अब आसान होगा पता लगाना- मांस बीफ है या नहीं

 
लखनऊ 

यूपी के रेस्तरां और होटलों में बिकने वाला पका हुआ मांस कहीं बीफ तो नहीं है, अब इसकी भी जांच हो सकेगी। जल्द ही स्टेट फरेंसिक लैब के लिए यह डिटेक्शन किट खरीदी जाएगी। इसके अलावा दादरी के बाद यूपी के हापुड़, बुलंदशहर समेत कई इलाकों में भी बीफ के चलते हिंसा की कई घटनाएं हो चुकी हैं, इसलिए सभी 75 जिलों के लिए मोबाइल बीफ डिटेक्शन किट खरीदी जा रही हैं। यह किट कच्चे मांस की जांच करेगी। इस किट की कीमत तीन लाख रुपये तक होगी।  
 
एक घंटे में हो जाएगी जांच 
75 जिलों के लिए खरीदी जा रही यह किट एलीजा विधि पर काम करेगी। इस विधि में रंग परिवर्तन के जरिए जांच होती है। इसमें अवशेष को किट में डालना होगा। एक घंटे के अंदर अगर रंग बदला तो यह पता चल जाएगा कि बरामद मांस बीफ है या कुछ और। अभी तक डीएनए विधि से अवशेष की जांच कराई जाती है, जिसमें काफी समय लग जाता है। बीफ डिटेक्शन मोबाइल किट का इस्तेमाल अभी तक गुजरात और महाराष्ट्र में किया जा रहा है। यूपी पुलिस की तकनीकी सेवाएं की तरफ से बीफ डिटेक्शन मोबाइल किट खरीदने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। शासन की मंजूरी मिलने के बाद किट खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। स्टेट फरेंसिक साइंस लैब की निदेशक डॉ. अर्चना त्रिपाठी ने बताया कि बीफ डिटेक्शन मोबाइल किट खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। 

जांच रिपोर्ट पर उठ जाते हैं सवाल 
दादरी के बिसहाड़ा में जिस पके हुए बीफ के होने की आशंका में अखलाक को पीट-पीटकर मार दिया गया था, उसकी फरेंसिक जांच को लेकर भी काफी विवाद हुआ था। मथुरा में कराई गई जांच में रिपोर्ट के बदले जाने और गलत रिपोर्ट देने के आरोप लगे थे। इसको लेकर तत्कालीन यूपी सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। दोबारा इस तरह की किसी वजह से सरकार की किरकिरी न हो इसलिए पके हुए मांस की जांच के लिए स्टेट फरेंसिक लैब डिटेक्शन किट खरीद रही है। 
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *