अगले दो साल पॉलीथिन में ही पौधे उगाएगा वन विभाग

भोपाल
केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सख्त निर्देशों के बाद भी वन विभाग पॉलीथिन को नर्सरियों से विदा नहीं कर पा रहा है। पौधारोपण के लिए पॉलीथिन का विकल्प तलाश रहे विभाग के अब तक सारे प्रयोग विफल रहे हैं, इसलिए अगले दो साल नर्सरियों में पॉलीथिन में ही पौधे तैयार किए जाएंगे। विभाग ने पॉलीथिन का विकल्प बताने के लिए केंद्र सरकार को भी पत्र लिखा है। विभाग 171 नर्सरियों में हर साल सात करोड़ से ज्यादा पौधे तैयार करता है। ये पौधे पॉलीथिन के बैग में तैयार किए जाते हैं।

केंद्र सरकार ने पिछले साल विभिन्न् विभागों में पॉलीथिन के प्रयोग पर सख्ती से रोक लगाई है। इसी आदेश को आधार बनाकर केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन विभाग को नर्सरियों में पॉलीथिन का प्रयोग तत्काल बंद करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद भी विभाग आज तक पॉलीथिन पर रोक नहीं लगा सका है। पहले अफसरों का तर्क था कि सभी जिलों में नर्सरियों के लिए पॉलीथिन खरीदे जाने के बाद वन मंत्रालय के निर्देश मिले और अब कहा जा रहा है कि पॉलीथिन का विकल्प नहीं मिल रहा है।

विभाग ने पॉलीथिन के विकल्प के रूप में थर्माकोल की ट्रे, बांट के कप, कपड़े के बैग और मिट्टी के गोलों में पौधे तैयार करने की कोशिश की, लेकिन सभी प्रयोग विफल रहे। कपड़ा और थर्माकोल तीन साल भी नहीं चल पाया और मिट्टी के गोल पौधों में पानी डालने के दौरान वह गए। जबकि प्लांटेशन में रोपने के लिए तीन साल या उससे भी अधिक उम्र के पौधे चाहिए है।

वैसे तो रूट-ट्रे पॉलीथिन का विकल्प हो सकता है, लेकिन यह महंगा है। इसलिए विभाग दूसरे विकल्प तलाश रहा है। हालांकि इसका फायदा भी है। विभाग ने वर्ष 1991-92 में एक लाख से ज्यादा रूट-ट्रे खरीदी थीं, जो आज भी उपयोग में ली जा रही हैंं। बस, इनमें पौधे तैयार करने में सावधानी बरतनी पड़ती है। इनसे पौधे निकालने में असावधानी होती है तो पौधों को नुकसान होता है या ट्रे को।

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