अखिलेश और शिवपाल में ‘दोस्ती’ के लिए सपा को विधानसभा उपचुनाव तक इंतजार!

लखनऊ 
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और अलग हो चुके शिवपाल सिंह यादव को फिर से एक साथ लाने की कोशिश में लगे हैं. इस कोशिश को अंजाम तक पहुंचाने के लिए समाजवादी पार्टी को विधानसभा उपचुनाव तक का इंतजार है. सूत्रों के मुताबिक, बेटे और भाई शिवपाल के बीच मतभेद दूर करने की मुलायम सिंह की शुरुआती कोशिश कामयाब नहीं रही.

बता दें, मुलायम सिंह की पहल पर पैतृक गांव सैफई में अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव की मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात में शिवपाल ने सपा में अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के विलय से इनकार कर दिया था.

मुलायम परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि शिवपाल ने विधानसभा उपचुनाव में सपा और प्रसपा को मिलकर चुनाव लड़ने का विकल्प सुझाया है. इस घटनाक्रम से जुड़े पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने सपा में प्रसपा के विलय की तत्काल संभावना से इनकार करते हुए बताया, 'शिवपाल ने नेताजी से कहा है कि वह अकेले कोई फैसला नहीं कर सकते है. उन्हें इसके लिए प्रसपा के उन नेताओं से बात करनी होगी, जिन्होंने संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में साथ देकर पीएसपी को खड़ा किया है.'

सपा के एक सांसद ने बताया कि पिछले एक हफ्ते से सुलह की कोशिशों के बीच मुलायम ने चाचा भतीजे को तत्काल एकजुट होने की जरूरत समझाते हुए आगाह किया है कि अगर अब नहीं संभले, तो फिर राजनीतिक भविष्य ठीक नहीं है.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. लोकसभा चुनाव में सपा का जनाधार दरकने की वजह से पूरे परिवार की राजनीतिक विरासत पर संकट के बादल छा गए हैं. इसी बात को लेकर मुलायम सिंह ने पिछले हफ्ते शिवपाल को दिल्ली बुलाकर चर्चा की थी. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में यादव वोटबैंक के बिखराव और अखिलेश का ‘सपा-बसपा गठबंधन’ प्रयोग नाकाम होने में प्रसपा की भूमिका अहम रही है. मुलायम सिंह ने इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए शिवपाल से पारिवारिक टकराव खत्म करने को कहा है.

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