अंबानी को टैक्स छूट: रक्षा मंत्रालय और फ्रांसीसी दूतावास ने कहा, राफेल डील और कर माफी में कोई लिंक नहीं

नई दिल्ली 
अनिल अंबानी की कंपनी के फ्रांस में टैक्स माफ होने संबंधी फ्रांसीसी अखबार की रिपोर्ट के बाद रिलायंस कम्यूनिकेशंस ने सफाई दी है कि टैक्स सेटलमेंट में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। वहीं, रक्षा मंत्रालय ने राफेल डील और टैक्स मसले को एक साथ जोड़कर देखने को गुमराह करने वाली शरारती कोशिश करार दिया है। अब नई दिल्ली में फ्रांस के दूतावास ने कहा है कि टैक्स सेटलमेंट पूरी तरह नियम-कानूनसम्मत था और यह किसी राजनीतिक दखल का विषय नहीं था। 

न्यूज रिपोर्ट का दावा 
दरअसल, फ्रेंच न्यूजपेपर लू मुंद ने शनिवार को अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि अप्रैल 2015 में पीएम मोदी द्वारा पैरिस में राफेल डील के ऐलान के कुछ महीनों बाद फ्रांस में रिलायंस कम्यूनिकेशन की सब्सिडियरी कंपनी के 14.37 करोड़ यूरो (करीब 1,125 करोड़ रुपये) का टैक्स माफ कर दिया गया था। 

फ्रांस ने सामने रखा अपना पक्ष 
न्यूज रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत में फ्रांस के राजदूत ने कहा, '2008 से 2012 की अविधि से जुड़े टैक्स विवाद के मामले में फ्रेंच टैक्स अथॉरिटीज और टेलिकॉम कंपनी रिलायंस फ्लैग के बीच ग्लोबल सेटलमेंट हुआ था। यह सेटलमेंट पूरी तरह कानून सम्मत और टैक्स ऐडमिनिस्ट्रेशन के सामान्य प्रैक्टिस को चलाने वाले नियामकीय प्रावधानों के तहत था। यह किसी भी राजनीतिक दखल का विषय नहीं था।' 

भारतीय रक्षा मंत्रालय ने कहा, शरारती कोशिश 
फ्रेंच न्यूजपेपर की रिपोर्ट के बाद रक्षा मंत्रालय ने भी दो टूक कहा है कि राफेल डील और टैक्स मसले को एक साथ जोड़कर देखना गुमराह करने वाली शरारती कोशिश है। रक्षा मंत्रालय ने कहा, 'हमने एक प्राइवेट कंपनी को मिले टैक्स छूट और भारत सरकार द्वारा राफेल सौदे के बीच संबंध की अटकल जोड़ने वालीं रिपोर्ट्स को देखा है। न ही टैक्स कन्सेशन की अवधि और न ही कन्सेशन की विषयवस्तु का मौजूदा सरकार द्वारा किए गए राफेल डील से कोई संबंध है। टैक्स मसले और राफेल मामले को एक साथ जोड़कर देखना पूरी तरह गलत और पक्षपातपूर्ण है बल्कि झूठी सूचना देने की शरारती कोशिश है।' 

कांग्रेस का हमला- रक्षा मंत्रालय कॉर्पोरेट का प्रवक्ता 
रक्षा मंत्रालय द्वारा फ्रेंच न्यूजपेपर की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने से कांग्रेस भड़क गई। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर रक्षा मंत्रालय को प्राइवेट कॉर्पोरेट का आधिकारिक प्रवक्ता ठहरा दिया। सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि इसे कहते हैं- चोर की दाढ़ी में तिनका। उन्होंने आगे लिखा कि अब रक्षा मंत्रालय प्राइवेट कॉर्पोरेट के लिए 'आधिकारिक प्रवक्ता' बन गया है। 

रिलायंस ने कहा, कुछ गलत नहीं 
न्यूजपेपर की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए रिलायंस कम्यूनिकेशंस ने भी कहा है कि टैक्स सेटलमेंट में कुछ भी गलत नहीं हुआ। आरकॉम ने कहा है कि टैक्स विवाद को उन कानूनी प्रावधानों के तहत हल किया गया, जो फ्रांस में संचालित सभी कंपनियों के लिए उपलब्ध हैं। दूसरी तरफ, फ्रेंच न्यूजपेपर की रिपोर्ट के बाद से ही कांग्रेस पीएम मोदी और अनिल अंबानी पर हमलावर है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि फ्रांस के प्रतिष्ठित अखबार 'लू मुंद' की रिपोर्ट से 'मनी ट्रेल' का खुलासा हो गया है और यह साबित हो गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने राफेल मामले में 'अनिल अंबानी के बिचौलिए' का काम किया है। सूरजेवाला ने पत्रकारों से कहा, 'फ्रांस के अखबार में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। क्या मनी ट्रेल सामने आ गई है? क्या मोदी अपने मित्र डबल ए (अनिल अंबानी) के बिचौलिए के रूप में काम कर रहे हैं? क्या अब चौकीदार की चोरी पकड़ी गई है?' 

फ्रेंच न्यूजपेपर की रिपोर्ट में क्या है? 
फ्रांसीसी अखबार लू मुंद की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फ्रांस ने राफेल डील के ऐलान के बाद अनिल अंबानी की कंपनी के 14.37 करोड़ यूरो (करीब 1,125 करोड़ रुपये) के टैक्स को माफ किया था। लु मुंद की शनिवार को प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 36 राफेल विमान खरीदने के ऐलान के कुछ महीने बाद ही 2015 में फ्रांस सरकार ने रिलायंस कम्यूनिकेशन की फ्रांस में रजिस्टर्ड टेलिकॉम सब्सिडियरी के टैक्स को माफ कर दिया। फ्रांसीसी अखबार के मुताबिक फ्रांस के टैक्स अधिकारियों ने रिलायंस फ्लैग (रिलायंस कन्यूनिकेशंस की फ्रांस में रजिस्टर्ड टेलिकॉम सब्सिडियरी) की जांच की थी और पाया कि कंपनी पर 2007 से 2010 के दौरान 6 करोड़ यूरो (करीब 470 करोड़ रुपये) की टैक्स देनदारी बनती है। हालांकि, रिलायंस ने सेटलमेंट के लिए सिर्फ 76 लाख यूरो (करीब 59.5 करोड़ रुपये) की पेशकश की थी, जिसे फ्रेंट अथॉरिटीज ने ठुकरा दिया था। अथॉरिटीज ने 2010 से 2012 के लिए कंपनी की एक अन्य जांच कराई और उसे 9.1 करोड़ यूरो (करीब 712 करोड़ रुपये) अतिरिक्त टैक्स चुकाने को कहा। 

1182 करोड़ रुपये की थी टैक्स देनदारी, 57 करोड़ में हुआ सेटलमेंट 
अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2015 तक रिलायंस पर कम से कम 15.1 करोड़ यूरो (करीब 1182 करोड़ रुपये) की टैक्स देनदारी थी। पैरिस में पीएम मोदी द्वारा राफेल डील के ऐलान के 6 महीने बाद अक्टूबर 2015 में फ्रांसीसी अथॉरिटिज ने सेटलमेंट के तहत रिलायंस से 15.1 करोड़ यूरो (करीब 1182 करोड़ रुपये) के बजाय 73 लाख यूरो (करीब 57.15 करोड़ रुपये) स्वीकार कर लिए। 

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