रोहित हाउसिंग फर्जीवाड़ा : सहायक आयुक्त छविकांत वाघमारे को जांच का जिम्मा, दोबारा बनेगे रिकॉर्ड
भोपाल
राजधानी की विवादित रोहित गृह निर्माण समिति में 2003 से 2013 के बीच हुए फर्जीवाड़ें की परतें अब खुलती जा रही है। सहकारिता मुख्यालय ने विभाग के सहायक आयुक्त छविकांत वाघमारे को जांच का जिम्मा सौंपा है। सीबीआई लगभग 8-10 साल पहले छापामार कार्रवाई में रोहित हाउसिंग समिति का सारा रिकार्ड ले गए थे। रिकार्ड वापस नहीं मिलने को लेकर अब सहकारिता विभाग के अफसर बीते दो सप्ताह से समिति पुराने सदस्यों से जानकारी जुटा रहे हैं। वे सदस्यों के कितने प्लॉट है। किसने-किसने अनुमति ली है। किन-किन सदस्यों ने पैसा जमा किया। कितना पैसा जमा किया। कितने सदस्यों को प्लॉट नहीं मिले इत्यादि जानकारी जुटाई जा रही है। करीब 270 सदस्यों ने विभाग को अपने पास मौजूद दस्तावेज सौंपे हैं। इस पर विभाग दोबारा रिकार्ड बना रहे हैं।
विभागीय जांच में जानकारी मिली है कि करीब 130-135 रजिस्ट्रियां सहकारिता नियमों का उल्लंघन यानी पात्रता नहीं होने के बाद कराई गई हैं। सहकारिता विभाग ने इन रजिस्ट्रियों को शून्य कराने में जुट गया है। रजिस्ट्री शून्य होने वाली जमीनों की वर्तमान में कीमत 50 करोड़ रुपए से अधिक है। अफसरों का दावा है कि आचार संहिता समाप्त हो गई है। अब इस मामले में सख्ती से कार्रवाई करवाकर रजिस्ट्री शून्य करवाई जाएगीं।
बीते दिनों करीब 23 पुराने सदस्य और अध्यक्षों को नोटिस जारी कर कार्यालय तलब किया गया था। जिनको नोटिस जारी हुए थे, उनमें से 6 अभी तक बयान देने नहीं पहुंचे हैं। पता गलत होने से उनके नोटिस वापस विभाग के पास लौट आए हैं। अब तक अमरनाथ मिश्रा, वसंत जोशी, अयूब खान, गिरीशचंद्र कांडपाल, सीएस वर्मा, सलोककर, अनिल झा, केएस ठाकुर, सुशील पुरोहित, सविता जोशी, घनश्याम राजपूत, रेवत सहारे, अरुण बगुवार, मेहरबान सिंह और अमित ठाकुर ने लिखित बयान दे दिए हैं। बचे हुए पदाधिकारियों को जवाब देने के लिए समिति ने अंतिम मौका दिया है। अब 31 मई तक सदस्य और संबंधित पक्ष आवेदन दे सकते हैं। इसके बाद विभाग अपने स्तर पर कार्रवाई करेगा।