Honey Trap: एक महिला, तीन रेप, हर बार स्क्रिप्ट एक ही.. सभी हैरान

 गोरखपुर
एक महिला…रेप के तीन मुकदमे…और हर बार कहानी बिल्कुल एक जैसी…। अदालत के सामने रेप के एक मुकदमे में जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह तथ्य पकड़ में आया। इस पर अदालत भी चौंक गई और एक जैसी स्क्रिप्ट लिखने वाली इस महिला के बारे में उच्चस्तरीय जांच का आदेश दे डाला। साथ ही जेल में बंद उस डाक्टर को जमानत दे दी जिस पर रेप का मामला दर्ज कराया गया था।

हनी ट्रैप का यह चौंकाने वाला मामला अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में आया। एक आरोपित की जमानत अर्जी पर बहस के दौरान बचाव पक्ष ने यह तथ्य पेश किया कि महिला ने ऐसी ही दो और एफआईआर दर्ज कराई है। इसके बाद अदालत के आदेश पर परत-दर-परत खुलती गई।

हनी ट्रैप में ऐसे लिखती है स्क्रिप्ट

अदालत में जमानत के लिए पेश डॉ. राजेन्द्र सिंह के मामले में महिला की एफआईआर का मजमून जैसा है, लगभग वैसा ही दूसरे मामलों का भी था। फर्क सिर्फ पात्र और स्थान में दिखा। राजेन्द्र सिंह के मामले में महिला ने एफआईआर में लिखा कि वह रेल विहार कॉलोनी में अकेले रहती है। उसकी मुलाकात डॉ. राजेन्द्र सिंह से हुई। उन्होंने धीरे-धीरे उससे मुलाकात बढ़ानी शुरू कर दी और कहा कि तुम्हारे पति नहीं हैं, हमारी पत्नी नहीं है। दोनों साथ-साथ रह सकते हैं। शादी कर एक-दूसरे की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। इस तरह वह बराबर उसके घर आने-जाने लगे। उसे भी जबरिया अपने घर बुलाने लगे। 28 मई की रात 10.30 बजे राजेन्द्र सिंह ने उसे खाना लेकर घर बुलाया और फिर उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक सम्बंध बना लिए। फिर लगातार उसका शारीरिक शोषण किया जाता रहा। शादी का झांसा देकर उसे हर बार शांत कर दिया जाता और यह बात किसी को न बताने की ताकीद की। बाद में उसे पता चला कि राजेन्द्र सिंह का कई और महिलाओं के साथ सम्बंध है और वह उन्हें भी धोखा दे रहा है। तब उसने 20 जुलाई 2019 को शाहपुर थाने में केस दर्ज कराया। महिला ने सबूत के तौर पर तर्क दिया कि राजेन्द्र सिंह का उसके घर आना-जाना सीसीटीवी कैमरे में कैद है। धर्मेश सोनकर व दीपू चौधरी पर दर्ज एफआईआर की कहानी भी कुछ ऐसी ही बयां की गई है।

ऐसे सामने आया हनी ट्रैप का मामला

शाहपुर थान में क्राइम नम्बर 354/2019, धारा 376, 506 के मामले में मनोरोग चिकित्सक डॉ. राजेन्द्र सिंह मुल्जिम हैं। उनकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है। वह जेल में थे। जमानत के लिए उन्होंने अर्जी दी थी। अदालत में बहस शुरू हुई तो बचाव पक्ष ने रेप का मुकदमा दर्ज कराने वाली महिला के बारे में चौंकाने वाले तथ्य पेश कर दिए। बचाव पक्ष ने बताया कि महिला ने क्राइम नम्बर 92/2019 के तहत ऐसा ही एक मामला धर्मेश सोनकर के खिलाफ दर्ज करा रखा है। साथ ही प्रकीर्णवाद 2222/2018 के तहत भी दीपू चौधरी पर ऐसा ही आरोप लगाया गया। जैसे ही ये मामले आए और बचाव पक्ष ने यह तर्क दिया कि महिला ब्लैकमेलर है। धनउगाही के लिए ऐसे मामला दर्ज कराये जाते रहे हैं तो अदालत ने भी माना कि तर्क में बल प्रतीत होता है। इसके बाद कोर्ट ने डॉक्टर को डॉक्टर को 50-50 हजार रुपए की दो जमानतें और बंध पत्र की शर्त पर जमानत दे दी।

अदालत की टिप्पणी और जांच का आदेश

अदालत ने तल्ख टिप्पणी भी की और उच्चस्तरीय जांच का आदेश भी दिया। अदालत ने लिखा है 'किसी नागरिक का दैहिक एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता संविधान द्वारा प्रदत्त उसका मूल अधिकार है जिसे सुनिश्चित कराना राज्य का दायित्व है। अत: पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराये जाने का आदेश दिया जाना समीचीन है। ऐसी परिस्थिति में इस आदेश की एक प्रति पुलिस महानिरीक्षक गोरखपुर परिक्षेत्र गोरखपुर एवं जिलाधिकारी गोरखपुर को इस अपेक्षा के साथ प्रेषित की जाए कि वे मामले में सम्पूर्ण तथ्य एवं परिस्थितियों, वादिनी द्वारा पूर्व में दाखिल कराए गए मुकदमों एवं वर्तमान विवेचक तथा पूर्व विवेचक द्वारा किए गए विवेचना की जांच करते हुए विधि सम्मत आदेश पारित किया जाना सुनिश्चित करें'।

अब ये करना होगा पुलिस को

अदालत के आदेश के बाद अब पुलिस महिला के सभी मामलों को एक साथ इकठ्ठा करेगी। सभी विवेचकों की विवेचना का परीक्षण किया जाएगा कि उन्होंने तथ्यों को सही से विवेचना में शामिल किया या नहीं। अगर विवेचकों ने लापरवाही बरती होगी तो उनपर भी कार्यवाही मुमकिन है। पुलिस की उच्चस्तरीय जांच का मतलब है कि कोई राजपत्रित अधिकारी हनी ट्रैप के इस मामले का जांच अधिकारी बनाया जाएगा। जैसे ही सभी मुकदमों की विवेचना की जांच एक जगह होगी, दूध और पानी अलग हो जाएगा।

आईजी गोरखपुर जय नारायन सिंह ने बताया कि अदालत का आदेश अभी मेरे पास नहीं आया है। आदेश मिलने के बाद एक कमेटी बनाकर मैं इसकी जांच कराऊंगा। जांच में जो तथ्य सामने आएंगे उसके मुताबिक आगे की कार्रवाई होगी और अदालत को भी अवगत कराया जाएगा।

 

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