अयोध्या-जनकपुर राम-जानकी पथ को जोड़ने वाला पुल दिसम्बर तक होगा चालू
पटना
अयोध्या से जनकपुर को जोड़ने वाले राम जानकी पथ में शामिल चंपारण का सत्तरघाट पुल बनकर तैयार हो गया है। मोतिहारी के सत्तरघाट और फैजुल्लाहपुर के बीच बनने वाला सत्तरघाट पुल से 31 दिसम्बर से गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। पुल का निर्माण 20 अक्टूबर 2015 को शुरू हुआ था। सात साल में बनने वाले इस पुल की कुल लंबाई एप्रोच रोड सहित 9.06 किमी है। इसमें गंडक नदी पर 1.44 किमी लंबा पुल है। पुल के शुरू होने से मोतिहारी और गोपालगंज को सीधा लाभ होगा।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार साल 2012 में जब इस पुल को बनाने की मंजूरी दी गई थी तो उस समय इसकी लागत 263 करोड़ आंकी गई थी। पुल का निर्माण 2015 में ही पूरा हो जाना था, लेकिन जमीन अधिग्रहण सहित अन्य समस्याओं के कारण यह तय समय पर पूरा नहीं हो सका। तब इसकी समय सीमा बढ़ाकर 2019 कर दी गई। बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने पुल बनाने का जिम्मा हैदराबाद की एजेंसी बशिष्ठा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को दिया है। इसी साल इस पुल की संशोधित तकनीकी लागत 286 करोड़ की मंजूरी दी गई। अब पुल का निर्माण पूरा हो चुका है। फुटपाथ सहित पुल की चौड़ाई 12 मीटर है। पुल में 25 पिलरों का उपयोग किया गया है। नदी में 1440 मीटर तो एप्रोच रोड सहित इसकी लंबाई 9060 मीटर है।
पुल के बनने से मोतिहारी व गोपालगंज आना-जाना आसान होगा। केसरिया में बने बुद्ध स्तूप के पास आना-जाना अब आसान होगा। संत कबीर दास के बेटे कमल दास की जन्मस्थली गोपालगंज में है। यह पुल कमल दास की जन्मस्थली तक आने-जाने में सहायक होगा। स्टेट हाईवे 73-74 के अलावा नेशनल हाईवे 28 और 90 तक आने-जाने में सहायक साबित होगा। इससे मोतिहारी से छपरा होते हुए पटना आने में दो घंटे अब कम लगेंगे। जबकि गोपलगंज के लोगों को मुजफ्फरपुर आने में अब मात्र डेढ़ घंटे लगेंगे। चंपारण में रहने वाले एक घंटे में सीवान आ सकेंगे। पुल की महत्ता को इससे भी समझा जा सकता है कि आयोध्या से जनकपुर को जोड़ने के लिए एनएच-227ए राम जानकी पथ बनाने की घोषणा की गई है। इसी एनएच में सत्तरघाट पुल भी है।
सत्तरघाट पुल बनकर तैयार है। काम लगभग पूरा हो चुका है। कोशिश है कि दिसम्बर तक इस पुल से गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो जाए।
– अमृत लाल मीणा, प्रधान सचिव, पथ निर्माण विभाग