गोबर और कचरे से बनी घुरवा की खाद को मिलेगी नई पहचान, ग्रामीणों की सुधरेगी माली हालत

कोरबा
नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी विकास कार्यक्रम के तहत जिले में बने गौठानों और गांव के घुरवों की जैविक खाद हसदेव अमृत ब्रांड नाम से बिकेगी। गोबर और कचरे से बनी कोरबा जिले की इस खाद को जैविक खाद के बाजार में नई पहचान मिलेगी। खाद के उत्पादक स्व-सहायता समूहों और ग्रामीणों को खाद की बिक्री से फायदा होगा और उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। छत्तीसगढ़ सरकार की इस महत्वाकांक्षी और बहुआयामी योजना से मिलने वाले फायदे अब लोगों को समझ में आने लगे हैं। इसी कड़ी में कलेक्टर किरण कौशल ने आज जिला पंचायत परिसर में स्थित बिहान काम्पलेक्स में जैविक खाद विक्रय केंद्र का शुभारंभ फीता काटकर किया।

यमुना महिला स्व-सहायता समूह द्वारा संचालित होने वाली इस आउटलेट में जिले के गौठानों में तैयार होने वाले जैविक खाद हसदेव अमृत को व्यवसायिक रूप में विक्रय किया जायेगा। इस अवसर पर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अजय जायसवाल और मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल भी उपस्थित रहे। विक्रय केंद्र के शुभारंभ अवसर पर स्वसहायता समूहों को पांच-पांच हजार रूपये की सहायता भी दी गई।

कलेक्टर कौशल ने विक्रय केन्द्र का शुभारंभ करते हुए कहा कि फसलो और पौधो के लिए अमृत खाद, अमृत की तरह लाभकारी सिद्व होगा। उन्होनेे कहा कि अमृत खाद के विभिन्न उत्पादों को खरीदने वालो को पौधरोपण हेतु एक पौधा निःशुल्क उपहार स्वरुप दिया जाये। शेष व्यवसायिक जैविक खाद से निर्मित खाद पदार्थ, खाद रसायन आदि विक्रय हेतु उपलब्ध कराया जाये। जिले के यमुना स्व-सहयता समूह मुडूनारा द्वारा विगत माह से जैविक खाद तैयार किया जा रहा है। समूह की व्यक्तिगत रुचि एवं उत्साह को देखकर उन्हें अमृत खाद का विक्रय केन्द्र आबंटित किया गया है। इस आउटलेट में हसदेव अमृत जैविक खाद के अलावा अमृत द्रव्य का भी विक्रय होगा। यह द्रव्य गुड़, गोबर, बेसन और दीमक द्वारा बनाई जाने वाली बामियों की मिट्टी से बनाया गया है जोकि धान की फसल में डीएपी रासायनिक खाद की जगह उपयोग किया जा सकता है।

इस आउटलेट में महिला स्व-सहायता समूह द्वारा जैविक खाद के अलावा जैविक कीटनाशक दवाई, मसाले तथा फलदार पौधे का विक्रय किया जा रहा है। स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती कुंती बाई ने बताया कि वर्तमान में जैविक खाद ग्राम भुलसीडीह से लाया जा रहा है। शीघ्र ही गौठानों में बनने वाले खाद की सप्लाई कर विक्रय के लिए उपलब्ध कराया जायेगा। स्व-सहायता समूह के सदस्यों ने बताया कि इस जैविक खाद की मांग उन्हें अभी से मिल गई है। वृहद रूप से होने वाले वृक्षारोपण के लिए वन विभाग, उद्यानिकी विभाग, कृषि विभाग सहित कई एजेंसियों ने खाद की मांग की है।

उन्होंने बताया कि हसदेव अमृत खाद उत्पादन में जिले में स्थापित 88 गौठानों की संचालन समितियों के एक हजार छप्पन सदस्य और करीब 25 स्व-सहायता समूहों के तीन सौ सदस्यों को सीधे रोजगार मिल रहा है। एक किलो जैविक खाद बनाने में लगभग चार रूपये का खर्चा आता है। खाद की पैकेजिंग और मार्केटिंग में हुए खर्चे के बाद इसको आठ से दस रूपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जायेगा। श्रीमती कुंती बाई ने बताया कि अभी लगभग 20 से 25 टन खान का उत्पादन कर उसे बेचने के लिए तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उद्यानिकी विभाग के नर्सरी से आम, पपीता, नीम, आंवला, कटहल, अशोक आदि पौधे भी लाये गये हैं।

हसदेव अमृत जैविक खाद से यूरिया/सल्फर आदि रसायानों के उपयोग से भूमि को होने वाले हानि से बचाया जा सकेगा। जिला स्तर पर खाद के विक्रय के लिए आउटेलेट खुल जाने पर स्वसहायता समूह एवं किसानों को इसका भरपूर लाभ मिलेगा। खाद और दवाओं के उत्पादक किसान ही बिना किसी बिचैलिये के मध्यस्थता के इसे बेच सकेंगे जिससे उन्हें सीधा फायदा होगा। कोरबा शहर के शहरी क्षेत्रों के निवासियों के लिए भी घरों के बगीचों और बाड़ियों के लिए यह जैविक खाद आसानी से उपलब्ध हो सकेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *