कोरोना: कलेक्टर ने बढ़ते संक्रमण को रोकने डॉक्टर्स से की बात
भोपाल
शहर में बढ़ते कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने गांधी मेडिकल कालेज के विशेषज्ञ चिकित्सकों से बात कर रणनीति तैयार की है. जीएमसी के पल्मोनरी मेडिसिन और पीएसएम विभाग के विभागाध्यक्षों से कलेक्टर ने बात कर प्लान बनाया है. अब ऐसे लोगों के टेस्ट कराये जायेंगे जिन्हें 4 दिन से ज्यादा सर्दी-खांसी और बुखार है. शहर के 85 वार्डों में आशा, आंगनवाडी कार्यकर्ताओं द्वारा बनाई गई टीमों ने अब तक 4 लाख 16 लोगों में से 200 संदिग्धों को चिन्हित किया है. इनमे से 100 लोगों के सेम्पल जांच के लिए भेजे गए हैं.
जीएमसी के विशेषज्ञों के सुझाव पर तीन प्रकार की रणनीति पर काम किया जा रहा है. जिसमे शहर में 3-4 दिन से ज्यादा सर्दी-खांसी और बुखार वाले मरीजों का चिन्हांकण कर उन्हें आइसोलेट करने के साथ ही टेस्ट कराये जा रहे हैं. ताकि संदिग्धों में से पोजिटिव मरीजों का पता लग सके. हफ्ते भर में संदिग्ध लक्षणों वाले हर मरीज को चिन्हित कर लिया जायेगा.
कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने सर्वेलेंस और ट्रीटमेंट में लगे कोरोना वारियर्स यानि डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ को भी सुरक्षित रखने के लिए रैपिड टेस्ट किट से जांच कराने के लिए कहा है. जिन डॉक्टर्स को सर्दी-खांसी और बुखार जैसे संदिग्ध लक्षण हैं. उनके रैपिड किट से टेस्ट किये जायेंगे. 100 किट शहर में आ गई हैं. इससे तुरंत टेस्ट रिजल्ट भी पता लग सकेगा.
कोरोना से संक्रमित मरीज अस्पताल से स्वस्थ होकर घर पहुँच चुके हैं. लेकिन उन्हें 14 दिनों तक घर में ही आइसोलेट रहना होगा. एक बार ठीक हुए मरीज को दोबारा संक्रमण की सम्भावना रहती है.
मेडिकल की पढाई में पीएसएम (प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन) विभाग का अहम् योगदान रहता है. MBBS की पढाई में पहले दिन से ही समुदाय यानी फील्ड लेवल पर फैलने वाली बीमारियों के सम्बन्ध में सिखाया जाता है. इसमें स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स वायरल डिसीज को रोकने के लिए रिसर्च करते हैं. कलेक्टर ने इस विभाग के डॉक्टर्स से भी बात कर समाधान खोजने के लिए कहा है ताकि भोपाल में कम्युनिटी स्प्रेड की स्थिति निर्मित न हो.