35 हजार विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट, अर्धवर्षिक परीक्षाएं अभी तक नहीं   

चित्रकूट 
जन अभियान परिषद से बीएसडब्ल्यू (बैचलर आफ सोशल वर्क) की डिग्री करने वाले 35 हजार विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट गहराने लगा है। उनकी अर्धवर्षिक परीक्षाएं अभी तक नहीं कराई गईं। उन्हें पढ़ाने वाले पराशर्मादाता (मेंटर) को पांच माह से मानदेय नहीं दिया गया। शासन ने उन्हें हासिए पर रख छोड़ा है। इससे उन्हें मानदेय के अभाव में आर्थिक परेशानी उठाना पड़ रही हैं। 

महात्मा गांधी विवि चित्रकूट महिला बाल विकास विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग और मप्र जन अभियान परिषद के माध्यम से डीएसडब्ल्यू की डिग्री करा रहा है। जन अभियान ने प्रदेशभर में करीब दो हजार मेंटर है, जिनको अगस्त माह से अभी तक मानदेय नहीं दिया गया। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के बाद उनकी अभी तक 18 रविवार को कक्षाएं लगी हैं। जबकि विद्यार्थियों गांव-गांव पहुंचकर अपनी जेब से रुपए खर्च कर पै्रक्टिकल कर रहे हैं। 

विवि के कार्यक्रम के तहत उनकी अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं दिसंबर जनवरी माह में होनी थीं, जो आज तक कक्षाओं के अभाव में पूर्ण नहीं हो सकी हैं। इससे उनकी तीन साल की डिग्र्री चार साल में ही पूर्ण होना मुश्किल दिखाई दे रहा है। 

मेंटर की नियुक्ति के लिए विवि से परीक्षा और जन अभियान ने साक्षात्कार तक किए थे। योग्य होने के बाद भी उन्हें विगत पांच माह से उन्हें मानदेय नहीं दिया गया। इससे उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। कमलनाथ सरकार ने उन्हें नियमित करने के साथ उन्हें सातवें वेतनमान के तहत वेतनमान देने के लिए अपने वचन पत्र में स्थान दिया है। सातवां वेतनमान तो ठीक उन्हें पूर्व का दिए जाने वाला वेतनमान तक आवंटित नहीं किया गया है। 

मेंटर को हर विषय को पढ़ाने के लिए 650 रुपए और तीन विषयों के 1950 रुपए प्रति रविवार मनदेय बनता है। इस हिसाब से उन्हें करीब आठ हजार प्रतिमाह मानदेय मिलता है।  उन्हें एक साल में चालीस रविवार की कक्षाएं लगाना होती है। जबकि उनकी कक्षाएं नवंबर से बंद पड़ी हुई हैं। भोपाल में बैरसिया और फंदा में छह-छह मेंटर्स को नियुक्त किया गया है। 

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