संविदा और दैनिक वेतन भोगी के कर्मचारियों को वेतन देने से राज्य सरकार ने किया मना

भोपाल
प्रदेश में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में संविदा और दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन देने से राज्य सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे कर्मचारियों के लिए जून तक का वेतन देने के निर्देश पूर्व में राज्य शासन ने दिए थे। अब जिला व जनपद पंचायतों द्वारा वेतन के लिए राशि की डिमांड की जा रही है तो विभाग ने साफ कह दिया है कि जिनकी नियुक्ति नियमित पदों के विरुद्ध हुई है, उन्हें छोड़कर दूसरे संविदा व दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा सकता। इसके लिए जिला व जनपद पंचायतें अपने स्तर पर होने वाली आय से वेतन दे सकते हैं।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने ये निर्देश जनपद व जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान ऐसे कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए राशि की डिमांड बार-बार किए जाने के चलते दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि विकास आयुक्त कार्यालय ने 30 जून तक की स्थिति के लिए मानदेय, पारिश्रमिक देने की व्यवस्था की गई थी लेकिन अब ऐसे मामले में नियुक्ति की प्रक्रिया का पालन किया जाना जरूरी है। इसके लिए मनसुखलाल बनाम अरुण तिवारी मामले के आधार पर पंचायतों में एक्शन लिए जाएं और कार्यवाही की जाए।

एसीएस गौरी सिंह ने इसको लेकर दिए निर्देशों में कहा है कि दैनिक वेतन भोगी, संविदा पर पदस्थ कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए स्वीकृत पद होना जरूरी है। ऐसा न होने पर की गई नियुक्ति पूरी तरह अवैध है। नियुक्ति के लिए भर्ती नियमों का पालन भी जरूरी है और अगर पूर्व में की गई नियुक्तियां नियमानुसार नहीं हैं तो ऐसी नियुक्तियों को तत्काल निरस्त किया जाए। इसके बाद भी अगर जरूरी है तो अवकाश दिवस को छोड़कर बाकी दिनों के लिए कलेक्टर दर पर योग्यता के आधार पर काम लिया जा सकता है। ऐसे कर्मचारियों के पारिश्रमिक का भुगतान मजदूरी मद या स्वयं के स्त्रोत से प्राप्त आय से नियमानुसार किया जा सकता है।

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