रिलायंस पर भरोसा शेयर खरीदने की होड़

नई दिल्ली
भारत के सबसे धनी कारोबारी मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के 53,124 करोड़ रुपये के राइट्स इश्यू को बंद होने के दो दिन पहले ही१.१ गुना अधिक सब्सक्राइव किया गया। शेयर बाजारों पर उपलब्ध आंकड़ों से इसकी जानकारी मिली। आंकड़ों के अनुसार, 42.26 करोड़ शेयरों की पेशकश की तुलना में 46.04 करोड़ शेयरों के लिये बोलियां प्राप्त हुईं।यह पेशकश की तुलना में 8.9 प्रतिशत अधिक है।

बीएसई पर 44.85 करोड़ शेयरों के लिये बोलियां
बीएसई पर 44.85 करोड़ शेयरों के लिये बोलियां प्राप्त हुईं। इसके अलावा एनएसई पर 0.57 करोड़ शेयरों के लिये तथा आर-वैप के जरिये रजिस्ट्रार के माध्यम से 0.62 करोड़ शेयरों के लिये बोलियां प्राप्त हुईं। कंपनी के इस इश्यू के लिये बोलियां लगाने के अभी दो दिन बाकी हैं। सामान्य तौर पर ऐसे मामलों में देखा गया है कि संस्थागत निवेशक आखिरी दिनों में बोलियां लगाते हैं। इससे यह तय है कि अभी रिलायंस इंडस्ट्रीज के इस इश्यू को कई गुना और सब्सक्राइव किया जाने वाला है।

कंपनी में 25.4 लाख से अधिक खुदरा शेयरधारक
मुकेश अंबानी और प्रवर्तक समूह ने कहा है कि वे अपने हिस्से की पूरी मात्रा को सब्सक्राइव करेंगे। इसके अलावा यदि कोई भाग बचा रह जाता है, तो वे उसे भी सब्सक्राइव करेंगे। रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरधारकों की एक बड़ी संख्या है। इनमें 25.4 लाख से अधिक खुदरा शेयरधारक और 1,700 से अधिक संस्थागत निवेशक शामिल हैं।

कंपनी के भविष्य को लेकर निवेशक निश्चिंत
सूत्रों का कहना है कि इस स्तर पर अधिक सब्सक्राइव किये जाने से कंपनी के भविष्य में हर श्रेणी के शेयरधारकों के भरोसे का पता चलता है। यह हाल के समय में पेश किसी भी अन्य राइट्स इश्यू को मिले सब्सक्राइव की तुलना में काफी अधिक है। इससे पहले भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया के राइट्स इश्यू को पांच से आठ प्रतिशत अधिक सब्सक्राइव किया गया था।

39755 करोड़ का इस्तेमाल कर्ज भुगतान में
बीएसई पर आरआईएल का शेयर सोमवार को 1520.45 रुपये पर बंद हुआ। इश्यू के दस्तावेज के अनुसार, कंपनी इससे प्राप्त तीन-चौथाई रकम का इस्तेमाल अपने कर्ज के स्तर को कम करने में करेगी। कंपनी को कानूनी और अन्य खर्चों के बाद इस इश्यू से 53,036.13 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। इसमें से 39,755.08 करोड़ रुपये का इस्तेमाल पुराने कर्ज का भुगतान करने में तथा शेष 13,281.05 करोड़ रुपये का उपयोग सामान्य कॉरपोरेट उद्देश्यों के लिये किया जायेगा।

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