रातभर विश्वनाथ मंदिर में रोकी चल प्रतिमा, प्रमुख सचिव के निर्देश पर खत्म हुई जिच

वाराणसी  

रंगभरी एकादशी पर विश्वनाथ मंदिर पहुंची शिव-पार्वती की चल प्रतिमा और रजत सिंहासन परंपरा से इतर वहीं रोक ली गई। इसे वापस टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत आवास लाने के लिए परिवार के सदस्यों को सारी रात मंदिर परिसर में धरना देना पड़ा। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एडिशनल एसपी ज्ञानवापी ने परिक्षेत्र में रात में धारा 144 लागू कर दी। रेड जोन से ग्रीन जोन की सीमा तक तैनात सुरक्षाकर्मियों के वायरलेस सेट पर आधी रात में धारा 144 लागू होने का संदेश गूंजने लगा था। फिर भी पूर्व महंत परिवार के सदस्य मौके पर डटे रहे। सुबह प्रमुख सचिव के निर्देश पर जिलाधिकारी का हस्तक्षेत्र हुआ और प्रतिमा महंत परिवार को दी गई। अब तक रंगभरी एकादशी पर शयन आरती के बाद ही बाबा और मां की चल प्रतिमाएं और रजत सिंहासन महंत आवास ले आया जाता था।

मामला यह था कि रंगभरी एकादशी पर गुरुवार की शाम परंपरागत तौर पर राजशाही अंदाज में बाबा की पालकी यात्रा विश्वनाथ मंदिर गई। पालकी यात्रा से पूर्व बाबा का रजत सिंहासन मंदिर भेजा गया। इसे सप्तऋषि आरती के अर्चकों ने बाबा के हौदे के ऊपर व्यवस्थित किया। उसके कुछ देर बाद शिव-पार्वती की चल प्रतिमा मंदिर ले जाई गई। शयन आरती के बाद पूर्व महंत परिवार के सदस्य परंपरानुसार चल प्रतिमाएं और रजत सिंहासन लेने रात्रि 11:35 बजे मंदिर पहुंचे। उस वक्त सेवादार तपन और पुजारी रामरुचि ने परिवार को चल प्रतिमाएं और रजत सिंहासन ले जाने से यह कहते हुए रोक दिया कि बड़े साहब (सीईओ विश्वनाथ मंदिर) का आदेश है।

इस पर उन दोनों और पूर्व महंत परिवार के सदस्यों हिमांशु शंकर त्रिपाठी, उदय शंकर त्रिपाठी और मनीष त्रिपाठी के बीच नोकझोंक होने लगी। महंत परिवार के सदस्यों ने इसकी सूचना परिवार के अन्य सदस्यों को दी। चंद मिनट में कई अन्य सदस्य मंदिर पहुंच गए। मां और बाबा की चल प्रतिमाएं गर्भगृह से निकाल कर बैकुंठ मंडप में रख दी गईं लेकिन रजत सिंहासन नहीं निकाला जा सका। इस बीच पुजारी रामरुचि ने पहले गर्भगृ़ह का दरवाजा बंद कर किया, फिर मंदिर के अंदर आने वाला चैनल गेट भी बंद कर दिया। 

मंदिर के अंदर मौजूद परिवार के कुछ सदस्यों ने प्रस्ताव दिया कि मंगला आरती के समय बाबा के हौदे से रजत सिंहासन न हटाया जाय। इसकी जानकारी जब फोन पर परिवार के वरिष्ठ सदस्यों को दी गई तो उन्होंने ऐसा कोई भी कदम उठाने से स्पष्ट मना किया। ऐसे में जब ढाई बजे मंगला आरती के लिए गर्भगृह खोला गया तो परिवार के सदस्यों ने ही रजत सिंहासन गर्भगृह से निकाल कर ताड़केश्वर के बारामदे में रख दिया।

सुबह होते ही पूर्व महंत परिवार के सदस्यों की संख्या बढ़ने लगी। ईमेल से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय में इस घटनाक्रम की सूचना दी गई। महंत परिवार के सदस्यों ने प्रमुख सचिव धर्मार्थ अवनीश अवस्थी को पूरे प्रकरण से अवगत कराया। इसके कुछ देर बाद पूर्वाह्न करीब साढ़े दस बजे पूर्व महंत परिवार को जिलाधिकारी के हवाले से सूचित किया गया कि चल प्रतिमा और सिंहासन उन्हें भोग आरती के बाद सौंप दिया जाएगा। इसके बाद प्रतिमा सौंप दी गई।

जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने बताया कि महंत परिवार की ओर से सूचना मिलने के बाद मंदिर प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से बातचीत की लेकिन उन्होंने प्रतिमा नहीं रोकने की बात कही। मंदिर के किसी सेवादार ने बिना निर्देश के रोक दिया था। इस पर मंदिर प्रशासन से बात की गई है। प्रतिमा महंत परिवार को लौटा दी गई है। वहीं मंदिर के सीईओ विशाल सिंह का कहना है कि पूर्व में मंदिर में रखी गई पारंपरिक प्रतिमा महंत परिवार के लोकपति तिवारी ले गए थे। वहां सेवादारों को निर्देश दिया गया था कि पारंपरिक प्रतिमा मंदिर में आने पर उसे रख लिया जाएगा। लेकिन सेवादारों ने पूर्व महंत कुलपति तिवारी की दूसरी प्रतिमा को रखवा लिया। जानकारी पर उनसे बात कर प्रतिमा लौटा दी गई।

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