मेघालय: खननकर्मियों को बचाने के लिए अब होगा रोबॉटिक टेक्नॉलजी का इस्तेमाल

लुमथारी/चेन्नै 
मेघालय की अवैध खदान में फंसे खननकर्मियों को बचाने के लिए अब रोबॉटिक तकनीकी की इस्तेमाल किया जाएगा। चेन्नै शहर की एक कंपनी की स्पेशलाइज्ड टीम मेघालय पहुंच गई है। यह टीम रोबॉटिक सबमर्सिबल इन्सपेक्शन की मदद से लोगों को बचाने की कोशिश करेगी। बता दें कि इस संकरी खदान में 15 खननकर्मी लगभग एक महीने से फंसे हुए हैं। 

यह टीम भेजने वाली कंपनी प्लानिस टेक्नॉलजीस, आईआईटी मद्रास द्वारा पोषित कंपनी है। यह कंपनी सबमर्सिबल रोबॉटिक इन्सपेक्सन और रिमोटली ऑपरेटेड वीइकल्स (आरओवी) की मदद से सर्वे संबंधी सहयोग प्रदान करती है। कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, एक आरओवी और छह सदस्यों की टीम मेघालय पहुंच गई है और रेस्क्यू ऑपरेशन में लग गई है। 

सबमर्सिबल रोबॉटिक इन्सपेक्सन क्या है? 
जानकारी के मुताबिक, रिमोट से चलने वाली एक मशीन को पानी में उतारा जाता है, जो बाहर रखे एक कंप्यूटर पर इनपुट्स भेजती रहती है। यह मशीन पानी में घूमने के साथ-साथ माइक और कैमरे की मदद से जानकारी जुटाने में मददगार साबित होगी। बता दें कि खदान संकरी होने और खतरनाक होने के चलते इतनी गहराई में गोताखोरों को उतारना संभव नहीं है, ऐसे में यह टेक्नॉलजी रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी ला सकती है। 

कंपनी के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में रविवार को लग गई है। यह टीम नेवी के साथ काम कर रही है। गौरतलब है कि 13 दिसंबर 2018 से ही 15 खननकर्मी मेघालय के ईस्ट जयंतिया हिल्स जिले में 370 फीट गहरी एक अवैध खदान में फंस गए हैं। पास से बहने वाली एक नदी का पानी खदान में भर जाने के चलते ये लोग खदान से बाहर नहीं निकल पाए। 

नेवी, एयरफोर्स, एनडीआरएफ समेत कई एजेंसियां कर रहीं कोशिश 
एक तरह जहां नेवी, एनडीआरएफ और कई अन्य टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि चमत्कार पर भरोसा करना होगा, हो सकता है कि खननकर्मी जिंदा वापस आ जाएं। आपको यह भी बता दें कि रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए इंडियन नेवी के साथ-साथ एयरफोर्स के प्लेन और हेलिकॉप्टर भी लगाए गए हैं। 

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