मंडी में धान की लग रही समर्थन मूल्य से कम बोली, किसान परेशान

रायपुर 
छत्तीसगढ़ में शासन-प्रशासन किसानों के हितैशी बनने का दावा करती आई है. लेकिन हकीकत में किसान आज भी व्यापारियों के हाथ की कठपुतली है. कुछ ऐसा ही नजारा महासमुंद जिले के कृषि उपज मण्डी में देखने को मिल रहा है. सालों से बंद पड़ी मण्डी में जब किसान धान बेचने आए तो किसानों को निराशा के सिवा कुछ हाथ नहीं लगा. मण्डी में किसानों के खून पसीने से उगाई धान की कीमत समर्थन मूल्य से भी कम बोली लगते देख किसान परेशान हो गए और मजबूरी में धान औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर है. किसान जहां समर्थन मूल्य नहीं मिलने के पीछे मण्डी प्रशासन और राइस मिलरों की मिली भगत बता रहे है, वहीं मण्डी सचिव अपना ही राग अलापते नजर आ रहे है.

जानकारी के मुताबिक कृषि उपज मण्डी पिटियाझर कार्यालय में दर्जन भर किसान वर्षों बाद मण्डी में धान बेचने इसलिए आए ताकि उन्हे अपने धान की अच्छी कीमत मिले. लेकिन मण्डी में धान का भाव 1305 से लेकर 1370 रूपए प्रति क्विंटल सुनकर सकते में आ गए. उसके बाद भी किसानों ने उम्मीद नहीं छोड़ी और धान व्यापारी को नहीं बचते हुए मण्डी में ही छोड़ दिया ये सोचकर कि दूसरे दिन कोई दूसरा व्यापारी उन्हे अच्छा दाम दे कर चला जाए. 

आप को बता दें कि शासन ने किसानों को उनके फसल को बेचने में कोई परेशानी न हो और किसान को अपने अनाज का समर्थन मूल्य मिल सके, इसलिए प्रदेश के सभी जिलों में कृषि उपज मण्डी का निर्माण अरबो रूपए खर्च कर कराई है. पर इस कृषि उपज मण्डी के कर्मचारियों और व्यापारियों की सांठगांठ से किसानों को अनके धान का दाम कम मिल रहा है, जिससे वे काफी परेशान है. शासन ने धान का समर्थन मूल्य 1750 और 1770 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर रखा है. महासमुंद जिले में 5 बड़ी कृषि उपज मण्ड़ी एवं 12 उप मण्डी है. 

लेकिन पिछले दस सालों में कृषि उपज मण्डी से एक भी दाना धान की खरीदी नहीं हुई है. महासमुंद जिले की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है. इस साल रबी के सीजन में जिले के 31 हजार हेक्टेयर में धान की फसल ली गई है और जिला सहकारी बैंक ने 1944 किसानों को 9 करोड़ 43 लाख रूपए का लोन दिया है. किसानों का कहना है कि मण्डी और व्यापारियों की मिली भगत के कारण ये स्थिति निर्मित हुई है.

इस पूरे मामले में कृषि उपज मण्डी के सचिव अपना ही सफाई दे रहे है. वहीं अधिकारी व्यापारियों को बचाते हुए भी नजर आए. मंडी सचिव बोधन मंडई का कहना है कि समर्थन मूल्य में धान खरीदी के लिए व्यापारी बाध्य नहीं है. शासकीय एजेंसी अगर सरकार नियुक्त करती है तो इसके द्वारा खरीदी की जा सकती है. फिलहाल अभी धान खरीदी शुरू हो गई है. पिछले साल भी धान की खरीदी की गई थी. सरकार ने मंडी किसानों को सुविधा देने के लिए ही बनाया है ताकि वे धान बेचने के लिए परेशान न हो. गौरतलब है कि मण्डी प्रबंधक सौदा पत्रक के माध्यम से धान खरीदी करने की बात कह रही है. 

सौदा पत्रक मतलब राइस मिलर किसानों से औने-पौने दाम पर धान खरीद कर मण्डी से सौदा पत्रक कटवा लेते है. बहरहाल मण्डी की यह स्थिति वर्षों से होने के बावजूद शासन-प्रशासन द्वारा कोई कारगर कदम नहीं उठाया जाना कई सवालों को जन्म देता है.

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