दो साल बाद बेटे को देखते ही छलक उठीं मां की आंखें

 गोरखपुर (उप्र) 
दो साल के अर्पित को ममता की छांव मिल गई है साथ ही लता को जन्म के बाद से ही बिछड़ा बेटा। दो साल बाद बेटे को देखते ही मां की आंखें छलक उठीं। दरअसल, नवंबर 2017 में लता ने कैंपियरगंज सीएचसी में बेटे को जन्म दिया था। लता की मानसिक स्थित ठीक न होने की वजह से बच्चे को शिशु गृह को दे दिया गया था और लता को बनारस के राजकीय महिला शरणालय में भर्ती करा दिया गया था।

छत्तीसगढ़ की रहने वाली लता नवंबर 2017 में ट्रेन से गोरखपुर पहुंची थी। छत्तीसगढ़ में किसी ने उसे ट्रेन में बैठा दिया था। पुलिस को वह बेसुध हाल में कैम्पियरगंज में मिली। नौ महीने की गर्भवती थी। मानसिक बीमारी के कारण वह अपना नाम-पता नहीं बता पा रही थी। कैम्पियरगंज सीएचसी में लता ने बेटे को जन्म दिया। प्रशासन ने नवजात को बाल संरक्षण गृह के अधीन संचालित एनजीओ एशियन सहयोगी संस्था को सौंप दिया। महिला को बनारस स्थित राजकीय महिला शरणालय में रखा गया।

बनारस में इलाज के बाद लता की मानसिक दशा सुधरने लगी। हालत ठीक होने पर लता ने अपना नाम और घर का पता बताया। पुलिस की मदद से परिवारीजनों तक सूचना पहुंची। परिवार के लोग बनारस से लता को लेकर शुक्रवार को गोरखपुर पहुंचे। दो साल बाद जब लता परिजनों के साथ गोरखपुर पहुंची तो बेटे को गोद में उठाकर खूब रोयी। 

गांव की प्रधान के साथ गोरखपुर पहुंचा परिवार
बनारस के महिला आश्रय गृह से डीपीओ सर्वजीत सिंह को सूचना दी गई। डीपीओ ने एशियन सहयोगी संस्था, महिला शरणालय की रेशमा श्रीवास्तव और बाल संरक्षण अधिकारी डॉ. सुमन शुक्ला को जानकारी दी। शुक्रवार को परिवारीजनों के साथ लता बाल संरक्षण गृह पहुंची। लता के साथ मां सीता जोशी और छत्तीसगढ़ के राजनंदा के परमाल-कसा गांव के प्रधान की पत्नी शालिनी संध्या भी मौजूद रहीं।

बेटे को अपने पास ही रखेगी लता
बेटे को पाकर लता बेहद खुश है। वह अपनी गोद में बेटे को लिए रही। मां ने बताया कि लता की एक सात साल की बेटी भी है। लता ने बताया कि वह अपने बेटे को पाकर बेहद खुश है। इसे वह अपने साथ ही रखेगी। 

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