ऑपरेशन राम मंदिर में बड़ा खुलासा, मनमुताबिक फैसला न आया तो कोई भी पक्ष मानने को तैयार नहीं

  
नई दिल्ली 

लंबे समय से खिंचे आ रहे अयोध्या टाइटल विवाद के तत्काल समाधान के लिए आह्वानों के बावजूद मामले से जुड़ा कोई भी पक्षकार कोर्ट से मनमुताबिक फैसला नहीं आने की स्थिति में उसे मानने को तैयार नहीं है. इंडिया टुडे स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम की जांच से यह खुलासा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी को निर्धारित सुनवाई रद्द कर दी क्योंकि मामले की सुनवाई कर रही सांविधानिक बेंच के पांच जजों में से एक जज उपलब्ध नहीं थे.

मामले से जुड़े पक्षकारों में धैर्य कम होने लगा और दोनों तरफ से त्वरित सुनवाई की मांग की गई. मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट में ये तारीख पर तारीख गलत है. ये देरी गलत है.' सुप्रीम कोर्ट में 29 जनवरी की सुनवाई टलने के बाद हिन्दू संत भी इसी तरह की भावनाएं जता रहे हैं, लेकिन जब रिपोटर्स टाइटल विवाद के दोनों तरफ के पक्षकारों तक पहुंचे तो उनमें से कोई भी अदालत का अपने मनमुताबिक फैसला ना आने पर उसे स्वीकार करने को तैयार नहीं दिखा.

'मेरे रहते नहीं रखी जाएगी ईंट'

हाजी महबूब छुपे हुए कैमरे पर ये कहते हुए कैद हुए-'आप क्या समझते हैं कि फैसला आने के बाद (अगर वो दूसरे पक्ष के हक में आया) कोई वहां एक भी ईंट रख सकेगा. मैंने उन्हें चुनौती दी है कि जब तक मैं जिंदा हूं, मैं एक ईंट को भी रखने की इजाजत नहीं दूंगा.'

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