ई-टेंडर घोटाले में खरे की तीन दिन रिमांड बढ़ाई

भोपाल
 ई-टेंडर घोटाले में माइल स्टोन बिल्डर्स एंड डेवलपर्स, माइल स्टोन इंपोर्ट एंड एक्सपोर्ट, माइल स्टोन मार्केट एंड डेवलपर नामक कंपनियों का संचालक मनीष खरे की तीन दिन की पुलिस रिमांड और बढ़ा दी गई है। शुक्रवार को ईओडब्ल्यू ने मनीष को कोर्ट में पेश किया। ईओडब्ल्यू ने कोर्ट में तर्क दिया कि मनीष खरे से अभी और पूछताछ की जाना है और अन्य आरोपी कंपनियों के साथ क्या संबंध रहे हैं, बैंक खातों, मनीष की तीनों कंपनियों के बैंक खातों, बैलेंस शीट आदि की जांच की जाना है।

कोर्ट ने ईओडब्ल्यू के तर्क के आधार पर मनीष को 3 जून तक के लिए पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। अब ईओडब्ल्यू मनीष की तीनों कंपनियों की 2015 से अब तक की जांच की करेगी। कंपनी के खातों में कहां-कहां से कितने पैसे का लेनदेन हुआ है और जहां से पैसे आए हैं, उससे मनीष का क्या संबंध रहा है इसकी जानकारी जुटाकर अन्य आरोपियों तक पहुंचने की कडिय़ां तलाशी जाएगी।

ईओडब्ल्यू को आशंका है कि मनीष खरे ने रेलवे के टेंडरों में भी गड़बड़ की होगी। रिमांड के दौरान पूछताछ के बाद ईओडब्ल्यू, भोपाल रेल मंडल को भी इसकी जानकारी दे सकता है कि रेलवे के किन-किन ठेकेदारों व टेंडरों में गड़बड़ी की गई है। रेलवे में मनीष पेटी कांट्रेक्टर के रुप में काम करता था और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एमटेक होने के कारण रेलवे के मैकेनिकल डिवीजन में दखल हो गया था।

सरकारी अधिकारियों से संबंधों पर भी हो रही जांच

मनीष के सरकारी अधिकारियों से क्या संबंध रहा और वह किस-किस से सांठगांठ करके काम करता था, इस दिशा में भी ईओडब्ल्यू ने जांच शुरु कर दी है। हालांकि अभी तक किसी भी अधिकारी का नाम नहीं सामने आया है, लेकिन तीन दिन की पूछताछ के बाद कुछ जानकारी सामने आ सकती है। जल संसाधन विभाग, लोक निर्माण और पीएचई के टेंडरों में छेड़छाड़ करने के दौरान इन विभागों के अफसरों से मनीष संपर्क करता था, लेकिन अभी किसी का नाम उजागर नहीं किया गया है।

अन्य कंपनियों से लेनदेन के संबंधों की हो रही जांच

मनीष खरे से पूछताछ के दौरान ऐसे टेंडरों की सूची तैयार की जा रही है, जिनमें छेड़छाड़ की गई है। वहीं, गुजरात की सोरठिया वेलजी रत्ना कंपनी, माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट्स, भोपाल की राजकुमार नरवानी लि, ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन, मुंबई की द ह्यूम पाइप लि, हैदराबाद की जीवीपीआर लि, मैक्स मेंटाना लि कंपनियों के साथ मनीष की लिंक भी निकाली जा रही है।

कहीं इन कंपनियों के बैंक खातों से मनीष की कंपनियों व मनीष के खातों में लेनदेन तो नहीं हुआ है। साथ ही मनीष की एसईडीसी के निलंबित ओएसडी एनके ब्रह्मे व अन्य अधिकारियों के साथ भी लिंक किस तरह की रही, इसे भी जांच में शामिल किया गया है।

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