जानलेवा ‘कोल्ड्रिफ सीरप’ की बिक्री में कमीशन का काला सच:डॉक्टर की फैमिली को मिलता था 40% से ज्यादा कमीशन
छिंदवाड़ा में 24 बच्चों की जान लेने वाले कोल्ड्रिफ सीरप की बिक्री में एमआरपी का एक बड़ा हिस्सा कमीशन के रूप में बांटा गया, जिसने डॉक्टर, रिटेलर, और सप्लायर के बीच एक अनैतिक नेटवर्क को उजागर किया।
कमीशन की बंदरबांट
कोल्ड्रिफ सीरप की बिक्री में एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) का मोटा हिस्सा विभिन्न हितधारकों के बीच कमीशन के रूप में विभाजित किया जाता था:
डॉक्टर का हिस्सा (10%): शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी को मरीजों को कोल्ड्रिफ प्रिस्क्राइब करने के लिए एमआरपी का 10% कमीशन मिलता था।
एमआर का हिस्सा (23%): श्रीसन फार्मास्युटिकल के मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) सतीश वर्मा को कुल 33% कमीशन मिलता था, जिसमें से डॉ. सोनी को 10% देने के बाद वह स्वयं 23% अपने पास रखते थे।
रिटेलर का हिस्सा (20%): रिटेलर ज्योति सोनी (अपना मेडिकल स्टोर की संचालिका और डॉ. सोनी की पत्नी) को 20% कमीशन मिलता था।
स्टॉकिस्ट का हिस्सा (10%): स्टॉकिस्ट राजेश सोनी (न्यू अपना मेडिकल स्टोर के संचालक) को 10% कमीशन मिलता था।
डॉक्टर और परिजनों को मिला 40% कमीशन

कमीशन के इस पूरे तंत्र में, बच्चों को दवा प्रिस्क्राइब करने वाले डॉ. प्रवीण सोनी और उनके परिजनों (पत्नी ज्योति सोनी-रिटेलर, और राजेश सोनी-स्टॉकिस्ट) को कुल मिलाकर एमआरपी का लगभग 40% हिस्सा प्राप्त होता था, जिससे दवा को बढ़ावा देने में उनका निहित स्वार्थ स्पष्ट होता है।
यह कमीशनखोरी का चक्र बिना गुणवत्ता जाँच वाले जानलेवा सीरप को बाजार में उतारने और उसे प्राथमिकता से मरीजों तक पहुँचाने का मुख्य कारण बना।

 
             
             
            