गणेश जी ने कैसे कुबेर का अभिमान को तोड़ा ?
गणेश जी ने कैसे कुबेर का अभिमान को तोड़ा ?
धर्म में श्री गणेश का प्रमुख स्थान है, उनसे जुड़ी कई कथाएं हैं, उस में एक कहानी आज आप के समक्ष रखने जा रहे जो आपको पसंद आएगी शास्त्रों में धन के राजा कहे जाने वाले राजा कुबेर की एक कथा है। शास्त्रों के अनुसार यह कथा है कि एक बार धन के राजा कुबेर को अधिक धन होने का बहुत अभिमान हो गया और अपने धन का प्रदर्शन करने के लिए उन्होंने एक-एक करके सभी देवताओं को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित करने का निर्णय लिया। जब उनका अभिमान इतना बढ़ गया था कि उन्होंने देवों के देव महादेव को भोजन के लिए आमंत्रित करने का विचार कर लिया मगर भगवान शिव ने कुबेर के निमंत्रण पर अपनी जगह गणेश को भेजा भगवान शिव को मालूम था कि गणेश कुबेर का अभिमान ज़रूर तोड़ेंगे गणेश भगवान कुबेर के महल में पहुंचे। श्री गणेश के निमित्त कुबेर देव ने माणिक, मोती और बहुमूल्य रत्नों से बने बर्तनों में असंख्य व्यंजन और सोने से बने भोजन परोसे। गणेश जी ने भोजन करना शुरू किया और काफी देर तक खाने के बाद भी उनकी तृप्ति नहीं हुई। धीरे-धीरे कुबेर देव का पूरा भोजन समाप्त होना चालू हो गया और वे घबरा गए। और घबरा के वे सीधे भगवान शंकर के पास गए और उन्हें पूरी कहानी सुनाई। कुछ ही देर में गणेश जी भी वहां पहुंच गए, तब भोलेनाथ ने गजानन को खाने के लिए कुछ दूर्वा दी। दूर्वा खाते ही भगवान गणेश का पेट तुरंत भर गया। यह देखकर कुबेर देव समझ गए और उनका अभिमान चूर हो गया, उन्होंने भोलेनाथ से क्षमा मांगी और फिर कभी अभिमान न करने का संकल्प लिया।
इस प्रकार भगवान कुबेर का अभिमान को तोड़ा
इससे सभी को यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी अभिमानी नहीं होना चाहिए जब धन के देव कुबेर का अभिमान ना रहा तो हम तो एक साधारण मनुष्य है हमें कभी किसी प्रकार का अभिमान नहीं करना चाहिए