एक मंदिर जहां बिना सिर वाले गणेश जी मूर्ति की पूजा होती है

एक मंदिर जहां बिना सिर वाले गणेश जी मूर्ति की पूजा होती है

मुंडकटिया मंदिर गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग में स्थित है। आध्यात्मिक पवित्रता की नगरी के रूप में अपनी अलग पहचान रखता है।इस कारण यहां पर मंदिरों की कमी नहीं है पर यह एक ऐसा मंदिर है जो पूरी दुनिया में किसी अन्य मंदिर से विपरीत है,इसमें भगवान गणेश की बिना सिर वाली एक विस्मयकारी मूर्ति है।लेकिन डरिए मत, क्योंकि यह बिना सिर वाला रूप द्वेष या विनाश का परिणाम नहीं है, बल्कि यह एक दिव्यता का गणेश स्वरूप अवतार है जिसने लाखों लोगों को प्रेरणा दिया है।

सिर काटे  गणेश की कहानी प्राचीन काल से जुड़ी है किंवदंती है कि एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन, जब देवी पार्वती दिव्य स्नान की तैयारी कर रही थीं, उन्होंने हल्दी के लेप से एक बालक को तैयार किया और उसमें प्राण डाल दिए, जिससे भगवान गणेश का जन्म हुआ।इसी दिन भगवान शिव माता पार्वती से मिलने घर पहुँचे तो भगवान शिव का दरवाजे पर एक उग्र युवा लड़के ने स्वागत किया, जो अपनी मां के स्नान के दौरान किसी को भी प्रवेश न करने के निर्देशों का पालन करते हुए पहरा दे रहा था।लड़के की दिव्य वंशावली से अनभिज्ञ, भगवान शिव को उस बालक ने निवास में प्रवेश नहीं दिया तो भगवान शिव  क्रोध में आ  गए।और उस बालक का सर अपने दिव्य त्रिशूल से शरीर से अलग कर दिया जिससे उसका सिर धड़ से अलग हो गया।इस घटना के बाद भगवान शिव ने सामने सच्चाई आने के बाद ही उन्हें अपनी गंभीर गलती का एहसास हुआ जिस बालक  का उन्होंने सिर काटा था वह कोई और नहीं बल्कि उनका अपना पुत्र गणेश था।इस गंभीरता को समझते हुए भगवान शिव ने गणेश जी को गज मुख लगाकर पुनः जीवित कर दिया यह कहानी आपने कही ना कही जरूर सुनी ही होगी पर इस घटना को चित्रित करते हुए गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जिले में यह मंदिर स्थित है यह मुंडकटिया मंदिर के नाम से प्रचलित है और यह के लोग बिना सिर वाले गणेश जी की ही पूजा करते है मंदिर का नाम मुंडकटिया मंदिर है यह के लोग बताते है की यह भगवान गणेश का मात्र धड़ है पर यह कोई आशुभता का परिचालक नहीं है क्योंकि मुंडकटिया मंदिर मांगी गई मन्नत कभी खली नहीं जाती यह मंदिर में स्थानीय लोग ही नहीं अपितु आस पास के जिलों से भी मंदिर में मन्नत लेकर आते है और यह मन्नतें पूरी भी होती है।