क्यों मनाई जाती है ऋषि पंचमी क्या है पौराणिक मान्यता

क्यों मनाई जाती है ऋषि पंचमी क्या है पौराणिक मान्यता

हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पंचमी को ऋषि पंचमी मनाई जाती है। आमतौर पर ऋषि पंचमी हरतालिका तीज के दो दिन बाद और गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद मनाई जाती है। इस साल ऋषि पंचमी 7 सितंबर को मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि इन दिन व्रत रखने से व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पा लेता है। ऐसे में आप कैसे करे इसका व्रत पूजन विधि ऋषि पंचमी व्रत की विधि।

ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है और सप्तऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही यह भी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। यदि गंगा में स्नान करना संभव नहीं है तो आप घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं।

अपने गुरु की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं। अब उन्हें फल-फूल और नैवेद्य आदि अर्पित करते हुए अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। इसके बाद आरती करें और प्रसाद सभी में वितरित करें। इस दिन बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद भी जरूर लेना चाहिए।

इस दिन अपने गुरु की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं। अगर आप के गुरु ना हो तो आप अपने आराध्य देव की तस्वीर स्थापित कर सकते है।अब उन्हें फल-फूल और नैवेद्य में मिट्टी पूरी और दही आदि अर्पित करते हुए अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना की प्रार्थना करें। इसके बाद आरती करें और प्रसाद सभी में वितरित करें। इस दिन बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद भी जरूर लेना चाहिए।

इससे आप के हर पाप से मुक्ति मिलेगी और आप जीवन मरण के चक्र से मुक्ति पा लेगे।