CM कमलनाथ के पास पहुंची शिकायत समन्वय बनाने की जगह हराने में लगे जिम्मेदार
भोपाल
कांग्रेस ने जिन लोगों को संगठन को मजबूत करने और विधानसभा चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी उन्होंने ही उम्मीदवारों को हराने में जोर लगा दिया। पीसीसी चीफ और मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास पहुंची शिकायत में यह बात सामने आई है कि संगठन के मुख्य पदों पर बैठे कुछ पदाधिकारियों ने पार्टी को हराने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। ऐसे 15 जिला अध्यक्षों की अलग-अलग शिकायतें पीसीसी चीफ तक पहुंच गई है। इन शिकायतों में समन्वय समिति के सदस्य एवं पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष के साथ ही महिला कांग्रेस की अध्यक्ष का नाम है।
सूत्रों की मानी जाए तो विदिशा जिला अध्यक्ष शैलेंद्र रघुंवशी, नीमच के चंद्र शेखर पालीवाल, पन्ना जिला अध्यक्ष दिव्या रानी सिंह , उज्जैन जिला अध्यक्ष महेश सोनी, खंडवा शहर अध्यक्ष इंदल सिंह पंवार, खंडवा ग्रामीण अध्यक्ष ओंकार पटेल, धार जिला अध्यक्ष बालमुकुंद गौतम, होशंगाबाद जिला अध्यक्ष कपिल फौजदार, श्योपुर जिला अध्यक्ष बृजराज सिंह चौहान, उमरिया जिला अध्यक्ष राजेश शर्मा, हरदा जिला अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण पंवार, भिंड जिला अध्यक्ष जयश्री राम बघेल, शाजापुर जिला अध्यक्ष योगेंद्र सिंह और भोपाल शहर जिला अध्यक्ष कैलाश मिश्रा की शिकायतें कमलनाथ तक पहुंच गई है।
अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष एवं प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति के सदस्य मुजीब कुरैशी पर भी सेवोटेज के आरोप लगे हैं। उनके खिलाफ धार जिले की एक सीट के पार्टी उम्मीदवार ने यह आरोप लगाए हैं। वहीं भोपाल जिले की एक सीट से चुनाव हारे कांग्रेस उम्मीदवार ने महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष मांडवी चौहान की भी शिकायत की है। शहहोल लोकसभा से कांग्रेस उम्मीदवार रही हिमाद्री सिंह के खिलाफ भी पार्टी उम्मीदवार को हराने की शिकायत हुई है।
पन्ना जिला अध्यक्ष दिव्या रानी सिंह पर जिले के तीन उम्मीदवारों ने अलग-अलग आरोप लगाए हैं। तीनों ने ही उनके खिलाफ पार्टी विरोधी काम करने की शिकायत की है। इसी तरह होशंगाबाद जिला अध्यक्ष कपिल फौजदार पर जिले के दो उम्मीदवारों ने पार्टी के खिलाफ काम करने की शिकायत की है।
सूत्रों की मानी जाए तो संगठन के प्रमुख पदों पर बैठे पदाधिकारियों के खिलाफ शिकायतें ज्यादा आने के चलते 19 जनवरी को होने वाली अनुशासन समिति की बैठक निरस्त कर दी गई थी। अब यह बैठक कब होगी फिलहाल यह तय नहीं है। इन प्रमुख लोगों के खिलाफ शिकायत पर अंतिम फैसला पीसीसी चीफ को ही लेना है। ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस इतने पदाधिकारियों के खिलाफ सख्त एक्शन नहीं ले सकती। इसलिए इन लोगों को भविष्य में ऐसा नहीं करने की चेतावनी के साथ माफी मिल सकती है।