Budget 2019: बजट से पहले आर्थिक मोर्चे पर कहां खड़ा है देश
नई दिल्ली
देश का अंतरिम बजट पेश होने में अब कुछ घंटों का समय बचा है. लोकसभा चुनाव से पहले पेश हो रहा यह बजट आर्थिक और सियासी तौर पर काफी अहम माना जा रहा है. हालांकि इस बार के बजट में थोड़ा बदलाव हुआ है. इस बार 1 फरवरी को नियमित वित्त मंत्री अरुण जेटली की बजाए कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल बजट पेश करेंगे. लेकिन बजट से पहले यह जानना जरूरी है कि बीते 1 साल में आर्थिक मोर्चे और आम जनता से जुड़ी हुई चीजों के मोर्चे पर देश कहां खड़ा है. आज हम इस रिपोर्ट में इसी का जिक्र करेंगे.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी 2018 को आखिरी पूर्ण बजट पेश किया. इस बजट से पहले 31 जनवरी को सेंसेक्स 35 हजार 970 के स्तर पर रहा. वहीं निफ्टी 11,020 के स्तर के पार कारोबार कर रहा था. एक साल बाद 31 जनवरी 2019 को सेंसेक्स 35, 750 के स्तर पर है. जबकि निफ्टी करीब 50 अंकों की तेजी के साथ 10,700 के स्तर पर है. केडिया कमोडिटी के प्रबंध निदेशक अजय केडिया के मुताबिक यह बजट शेयर बाजार की चाल को तय करने वाला बन सकता है.
1 साल में रुपया
पिछले साल के बजट से पहले 31 जनवरी 2018 को डॉलर के मुकाबले रुपया 63.66 के स्तर पर था.जबकि 1 साल बाद 31 जनवरी 2019 को एक डॉलर, 71.06 रुपये के बराबर है.
1 साल में सोना-चांदी
31 जनवरी 2018 को सोना की कीमत 31, 230 रुपये प्रति दस ग्राम थी तो वहीं 1 साल बाद इसका भाव 34,200 रुपये प्रति दस ग्राम पर है. चांदी की बात करें तो इसकी कीमत 31 जनवरी 2018 को 42,200 रुपये प्रति किलोग्राम पर थी. वहीं 31 जनवरी 2019 को यह 41,400 रुपये के स्तर पर है.
1 साल में पेट्रोल-डीजल
एक साल पहले 31 जनवरी को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 72.92 रुपये प्रति लीटर थी तो वहीं 2019 में इसी दिन यह 71.09 रुपये के भाव पर है. डीजल की बात करें तो यह 31 जनवरी 2019 को 65.81 रुपये प्रति लीटर के भाव पर है जबकि एक साल पहले इसी दिन यह 64 रुपये के भाव पर था.
1 साल में एलपीजी
जनवरी 2018 में देश की राजधानी दिल्ली में सब्सिडी के साथ एलपीजी सिलेंडर की कीमत 495.64 रुपये थी. वहीं वर्तमान में यह 494.99 रुपये के भाव पर है.
1 साल में रेपो रेट
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जनवरी 2018 में रेपो रेट को 6 फीसदी पर बरकरार रखा था. वहीं फिलहाल यह 6.5 फीसदी पर बरकरार है. अगर तुलना करें तो 1 साल में 0.5 फीसदी रेपो रेट बढ़ गया है. आसान भाषा में समझें तो रेपो रेट बढ़ने से होम लोन के ग्राहकों पर EMI का बोझ बढ़ जाता है. रेपो रेट के बढ़ने के बाद बैंक भी लोन पर अपनी ब्याज दरों को बढ़ा देते हैं.
1 साल में महंगाई दर
वैसे तो जनवरी के महंगाई दर के आंकड़े अभी नहीं आए हैं लेकिन दिसंबर से तुलना करें तो इस बार थोक कीमतों पर आधारित देश की सालाना महंगाई दर दिसंबर में घटकर 3.80 फीसदी रही है. जबकि एक साल पहले दिसंबर 2017 में यह आंकड़ा 3.58 फीसदी के स्तर पर आ गई थी .अगर खुदरा महंगाई दर की बात करें तो दिसंबर में यह 2.19 रही. जबकि 1 साल पहले 2017 दिसंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर दिसंबर, 2017 में 5.21 फीसदी पर थी.