BJP का अधिवेशन, तय होगा लाइन ऑफ ऐक्शन
नई दिल्ली
तीन राज्यों में हार और लोकसभा चुनाव से पहले के अंतिम महाधिवेशन में बीजेपी लाइन ऑफ ऐक्शन तय करेगी। इस महाधिवेशन में पार्टी की कार्यकारिणी के सदस्यों, राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के अलावा सभी जनप्रतिनिधियों को भी बुला रही है ताकि चुनाव के वक्त कार्यकर्ताओं में लाइन ऑफ ऐक्शन को लेकर किसी तरह का भ्रम न हो।
इसके अलावा पार्टी यह भी चाहती है कि चुनाव से पहले के इस कार्यक्रम के जरिए कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा जाए ताकि पांच राज्यों के चुनाव नतीजों से हुई निराशा को धोया जा सके। 11 और 12 जनवरी को होने वाले इस कार्यक्रम में देशभर से लगभग 12 हजार पार्टी नेता शामिल होंगे। इनमें जनप्रतिनिधियों के अलावा संगठन के नेता भी शामिल हैं।
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि चूंकि इस राष्ट्रीय परिषद में सभी जनप्रतिनिधियों को भी बुलाया गया है इसलिए यह एक तरह से महाधिवेशन की तरह ही है। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले भी इसी तरह का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया गया था। हालांकि उसमें इतनी बड़ी तादाद में कार्यकर्ताओं को शामिल नहीं किया गया था। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने रणनीति बनाई है कि महाधिवेशन में पूरा फोकस लोकसभा चुनाव पर रहे और जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं तक सीधे यह संदेश जाए कि पार्टी किस लाइन पर चुनाव लड़ने जा रही है।
यह भी तय किया जाएगा कि कांग्रेस पर किस तरह से हमलावर रहना है और राफेल पर कांग्रेस के प्रचार की किस तरह से काट की जानी है। पार्टी नेताओं का कहना है कि इसके लिए राजनीतिक प्रस्ताव भी लाया जाएगा और इस प्रस्ताव के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की जाएगी कि देश में पीएम नरेंद्र मोदी के मुकाबले का नेता किसी भी विपक्षी दल के पास नहीं है। पार्टी के एक नेता का कहना है कि यूपी के कार्यकर्ताओं को यह बताया जाएगा कि अगर एसपी और बीएसपी के बीच गठबंधन होता है तो किस तरह से चुनाव लड़ा जाए ताकि 50 फीसदी वोट हासिल करने का टारगेट पूरा किया जा सके।