4 जुलाई का वैदिक पंचांग व राशिफल जारी, चातुर्मास व्रत का पुण्यकाल आरंभ
छिंदवाड़ा। शुक्रवार, 04 जुलाई 2025 के वैदिक पंचांग के अनुसार आज आषाढ़ शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है, जो शाम 04:31 तक रहेगी, इसके बाद दशमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। आज चित्रा नक्षत्र शाम 04:50 तक रहेगा, तत्पश्चात स्वाती नक्षत्र प्रभावी होगा। योग की दृष्टि से शिव योग शाम 07:36 तक रहेगा और इसके बाद सिद्ध योग का आरंभ होगा।
पंचांग के अनुसार, आज सूर्योदय 06:02 बजे और सूर्यास्त 07:23 बजे होगा। राहुकाल प्रातः 11:03 से दोपहर 12:43 बजे तक रहेगा। दिशाशूल पश्चिम दिशा में रहेगा, अतः यात्रा में सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास व्रत काल में जल, अन्न और जीवनशैली की पवित्रता विशेष फलदायी मानी जाती है। स्नान, दान, जप, तप और भगवान विष्णु की भक्ति इस चार मास में अत्यंत पुण्यदायक मानी गई है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, नवमी तिथि पर लौकी का सेवन वर्जित बताया गया है।
पंचक की शुरुआत 13 जुलाई की शाम से होगी और 18 जुलाई को समाप्त होगी। वहीं, अगली एकादशी आषाढ़ शुक्ल एकादशी 6 जुलाई को मनाई जाएगी, जिसका व्रत 5 जुलाई की शाम से प्रारंभ होकर 6 जुलाई की रात तक प्रभावी रहेगा।
जन्मदिवस विशेष:
आज जन्मे जातकों का मूलांक 4 बनता है। ऐसे व्यक्ति बुद्धिमान, साहसी और संघर्षशील होते हैं। जीवन में कई उतार-चढ़ावों के बाद भी ये कुलदीपक सिद्ध होते हैं। शुभ रंग नीला और काला तथा शुभ अंक 4 और 8 इनके लिए उत्तम माने गए हैं।
आज का राशिफल:
मेष: सेहत को लेकर सजग रहें, राजनीति में सोच-समझकर निर्णय लें।
वृषभ: पारिवारिक सौहार्द और विवाह योग बनेंगे, कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं।
मिथुन: करियर में उन्नति, नई यात्रा से लाभ संभव।
कर्क: घर-परिवार से सहयोग मिलेगा, भक्ति भाव में वृद्धि।
सिंह: कार्यों में लापरवाही न करें, कानूनी मामले में राहत।
कन्या: घर-परिवार में शुभ समाचार, प्रेम जीवन में प्रगति।
तुला: मनोकामना पूर्ण होगी, घर में नए मेहमान का आगमन संभव।
वृश्चिक: स्वास्थ्य में गिरावट संभव, उच्च अधिकारियों का सहयोग मिलेगा।
धनु: संपत्ति लाभ और वैवाहिक जीवन में सुखद योग।
मकर: विरोधियों से सतर्क रहें, कोई बड़ी डील रुक सकती है।
कुंभ: मानसिक तनाव, धन उधार देने से बचें।
मीन: अचानक धन लाभ के योग, सतर्कता जरूरी।
नोट:
चातुर्मास में विशेष रूप से दान, जीव दया, संयम और भगवान विष्णु की उपासना को सर्वोत्तम साधन बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार यह काल आत्मशुद्धि और तप का उत्तम समय माना गया है।