सर्वपितृ अमावस्या: तर्पण के लिए आज विशेष मुहूर्त, जानें श्राद्ध की पूरी विधि और नियम
नई दिल्ली। आज सर्वपितृ अमावस्या का पावन अवसर है। इसे महालय अमावस्या भी कहा जाता है। पितृ पक्ष का समापन इसी दिन होता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या तिथि 21 सितंबर की रात 12:16 बजे से आरंभ हुई, जो 22 सितंबर की रात 1:23 बजे तक रहेगी। तर्पण के लिए सबसे शुभ समय दोपहर में है। कुतुप मुहूर्त 12:07 से 12:56 बजे तक, रोहिणी मुहूर्त 12:56 से 1:44 बजे तक और इसके बाद 1:44 से 4:10 बजे तक का समय श्राद्ध कार्यों के लिए उत्तम माना गया है।
विधि के अनुसार, सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख कर जल, दूध और काले तिल से तर्पण किया जाता है। चावल, तिल और दूध से बने पिंड पितरों को अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद सात्विक भोजन बनाकर ब्राह्मणों को भोजन व दक्षिणा दी जाती है तथा जरूरतमंदों को दान किया जाता है।
पंडितों का कहना है कि इस दिन तुलसी पूजन नहीं करना चाहिए और तामसिक भोजन व नशे से बचना चाहिए। बाल-नाखून काटना भी वर्जित है। शाम को दीपदान कर पितरों को विदा किया जाता है। माना जाता है कि नियमपूर्वक श्राद्ध करने से पितृ दोष समाप्त होते हैं और घर-परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है।