रूपचतुर्दशी क्यों मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है
रूपचतुर्दशी क्यों मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है
धर्म:हर साल रूपचतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है यह दिन मां काली को समर्पित होता है. आइए जानते हैं कि रूपचतुर्दशी क्यों मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है
यह पर्व दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता है।
ग्रंथों के जानकारों का कहना है कि इस दिन सुबह भगवान कृष्ण की पूजा और शाम को यमराज के लिए दीपक जलाने से तमाम तरह की परेशानियों और पापों से छुटकारा मिल जाता है।
दिवाली से पहले रूप चौदस के दिन यम के लिए दीपक जलाते हैं। लेकिन घर के बाहर कूड़े-कचरे या आधुनिक समय अनुसार डस्टबीन के पास भी दीपक लगाया जाता है।
चौदस पर व्रत रखने का भी अपना महत्व है। मान्यता है कि रूप चौदस पर व्रत रखने से सौंदर्य प्राप्त होता है। पुराणों में इस कथा के मुताबिक इस दिन पर भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर को मारा था। इसलिए इस पर्व को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाते हैं और श्रीकृष्ण की पूजा विधि विधान से करते हैं।
परंपरा के अनुसार रूप चौदस की रात घर पर जो बुजुर्ग हो घर में एक दीया जलाकर पूरे घर में घुमाता है और फिर उसे घर से बाहर कहीं दूर जाकर रास्ते के बाजू में रख देता है। इस दीपक को यम दीपक कहा जाता है। इस दौरान घर के बुजुर्ग को छोड़कर बाकी सदस्य अपने घर में ही रहते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती हैं। इस चतुर्दशी का पूजन कर अकाल मृत्यु से मुक्ति तथा स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए यमराज जी की पूजा और उपासना की जाती है।