महालक्ष्मी की पूजा क्या की जाती है व्रत की सम्पूर्ण विधि
महालक्ष्मी की पूजा क्या की जाती है व्रत की सम्पूर्ण विधि
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत किया जाता है। इस व्रत का धर्म ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है। इस व्रत की खास बात ये है कि इसमें हाथी पर बैठी हुई देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, इसलिए इस व्रत को हाथी अष्टमी और हाथी पूजन भी कहा जाता है।
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर, मंगलवार की दोपहर 12 बजकर 39 मिनिट से शुरू होगी, जो 25 सितंबर, बुधवार की दोपहर 12 बजकर 11 मिनिट तक रहेगी। चूंकि महालक्ष्मी पूजन शाम को किया जाता है और ये स्थिति 24 सितंबर को बन रही है, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा।
इस विधि से करें महालक्ष्मी व्रत
24 सितंबर, मंगलवार की सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद महालक्ष्मी व्रत और पूजा का संकल्प लें।
दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें। घर के पूजा घर को साफ करें और गंगा जल छिड़कर पवित्र करें। शाम को शुभ मुहूर्त में देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र वहां स्थापित करें।
ध्यान रखें कि चित्र या प्रतिमा में देवी लक्ष्मी हाथी पर बैठी हुई होनी चाहिए। देवी के सामने सबसे पहले शुद्ध घी का दीपक जलाएं। कुमकुम से तिलक करें और फूलों की माला पहनाएं।
चंदन, अबीर, गुलाल, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। लक्ष्मी जी का ध्यान करके सभी चीजे चढ़ाये
देवी लक्ष्मी के बाद हाथी की भी पूजा करें। बेसन व् गेहूँ से बने मिट्टे पकवानों का हाथी को भोग लगाएं और देवी लक्ष्मी को गाय के दूध से बनी खीर अर्पित करें। पूजा होने के बाद प्रसाद खाकर अपना व्रत पूरा करें।
महालक्ष्मी व्रत के मानने के महाकाव्य महाभारत की एक कहानी बहुत प्रचलित है इस के अनुरूप ही यह पर्व हर वर्ष इस तिथि को मनाया जाता है कहानी कुछ इस प्रकार है –
महाभारत काल भी महालक्ष्मी व्रत किया जाता था, इससे संबंधित एक कथा प्रचलित है, जो इस प्रकार है- एक बार महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर आए और उन्होंने रानी गांधारी और कुंती को महालक्ष्मी व्रत करने को कहा। निश्चित तिथि आने पर गांधारी के 100 पुत्रों ने मिट्टी से एक विशाल हाथी बना दिया। नगर की सभी महिलाएं पूजा के लिए वहां इकट्ठा हो गई। जब ये बात किसी ने अर्जुन को बताई तो वे स्वर्ग से हाथियों के राजा ऐरावत को ले आए। ये बात जानकर सभी महिलाएं कुंती के महल में पूजा करने आ गईं। तभी से महालक्ष्मी व्रत किया जा रहा है।
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।
